‘ऐसे क़ानून रद्द हों जो धार्मिक आस्था पर सवाल उठाने से रोकते हैं’
टीपू सुल्तान को ‘धर्मोन्मादी’ करार देकर पहले भी विवाद पैदा कर चुके कन्नड़ लेखक एस एल भैरप्पा ने कहा कि अंग्रेजों ने ऐसे कानून बनाए थे और सरकारों ने उनका गलत इस्तेमाल किया।

जानेमाने कन्नड़ लेखक एस एल भैरप्पा ने ऐसे कानूनों को रद्द करने की वकालत की है जो किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने से रोकते हैं। भैरप्पा ने कहा कि दूसरों की आस्था पर सवाल उठाने की आजादी होनी चाहिए। टीपू सुल्तान को ‘धर्मोन्मादी’ करार देकर पहले भी विवाद पैदा कर चुके लेखक ने कहा कि अंग्रेजों ने ऐसे कानून बनाए थे और सरकारों ने उनका गलत इस्तेमाल किया ‘जिससे सलमान रश्दी की किताब ‘सैटेनिक वर्सेस’ पर पाबंदी लगी।’ जयपुर साहित्योत्सव में धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले लेखन एवं किताबों को प्रतिबंधित करने पर चर्चा के लिए आयोजित एक सत्र में उन्होंने यह टिप्पणी की। रश्दी की किताब पर पाबंदी या दिवंगत भाषाविद ए के रामानुजन के निबंध ‘थ्री हंड्रेड रामायण: फाइव एग्जामपल्स एंड थ्री थॉट्स |न ट्रांसलेशन’ को दिल्ली यूनिवर्सिटी के इतिहास के पाठ्यक्रम से हटाने जैसे मामलों का जिक्र करते हुए 85 साल के भैरप्पा ने कहा कि लोगों को किसी धर्म की आलोचना करने की इजाजत देनी चाहिए, बशर्ते ऐसा भावनात्मक दलीलों की बजाय तार्किक दलीलों से किया जाए। उन्होंने कहा, ‘सहनशीलता की बेहतरीन मिसाल भारतीय सरजमीं है। लेकिन (भारतीय) सरकार अंग्रेजों के बनाए कानूनों का इस्तेमाल करने लगी। सबसे बेहतर तरीका है कि उन कानूनों को खत्म किया जाए।’ भैरप्पा ने कहा, ‘सारी चर्चा अकादमिक होनी चाहिए। सरकार सिर्फ यह कह सकती है कि आपको किसी भी धर्म की आलोचना करने का पूरा हक है। सिर्फ एक बात है कि इसमें भावनात्मक दलीलों की बजाय तार्किक दलीलों का इस्तेमाल किया जाए।’
उन्होंने अपनी टिप्पणी के जरिए यह बताने की भी कोशिश की कि सती प्रथा अपनी ही जान देकर ‘इस्लामी आक्रमणकारियों’ के चंगुल से बचने की महिलाओं की कोशिश का नतीजा था। भैरप्पा ने कहा, ‘सती प्रथा भारतीय संस्कृति में मौजूद नहीं थी। सती की कहानी में भी उसने अपनी जान खुद दी, अपने पति की चिता पर नहीं बल्कि दक्ष द्वारा अपने पति से की गई बदसलूकी के विरोध में।’ जयपुर साहित्योत्सव को संबोधित करते हुए इशा फाउंडेशन के संस्थापक एवं आध्यात्मिक लेखक जग्गी वासुदेव सद्गुरु ने कहा कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र का प्रभाव होने से मौजूदा वक्त इंसानियत के इतिहास में ‘बेहतरीन’ बन गया है। उन्होंने कहा कि लोगों के ‘आराम और सुविधा’ के पहलू को रेखांकित करते हुए यह छवि पेश नहीं करनी चाहिए कि मौजूदा वक्त इतिहास में ‘सबसे बदतर’ हो गया है। सद्गुरु ने कहा, ‘यह छवि पेश नहीं करें कि हम सबसे बदतर वक्त में जी रहे हैं, क्योंकि हम इंसानियत के इतिहास में सबसे बेहतर वक्त में हैं आज आप जितने आराम और सुविधा से रह रहे हैं उतना इंसानियत के इतिहास में पहले कभी नहीं था। करने के लिए पहले से ज्यादा चीजें हैं, लेकिन वह एक अलग बात है।’ अपनी लोकप्रिय किताब ‘इनर इंजीनियरिंग: ए योगीज गाइड टू जॉय’ के बारे में सद्गुरु ने कहा कि लोकतंत्र मानवता के इतिहास की ‘सबसे खूबसूरत’ चीज है।
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