राजस्थान विधानसभा चुनाव को अब महज़ 8 महीने बचे हैं। ऐसे में दोनों ही बड़ी पार्टियां अपने-अपने दांव लगा रही हैं। भाजपा ने गुरुवार को प्रदेश अध्यक्ष पद से सतीश पूनिया को हटा चित्तौड़गढ़ से लोकसभा सांसद चंद्र प्रकाश जोशी को यह ज़िम्मेदारी दे दी है। यह फैसला बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है। आखिर क्यों भाजपा ने चुनावी साल में इतना बड़ा बदलाव किया है और इससे भाजपा को क्या मदद मिलने वाली है। आइए समझते हैं।
क्यों मजबूत नेता माने जाते हैं सीपी जोशी
लोकसभा सांसद चंद्र प्रकाश जोशी एक ब्राह्मण नेता हैं। उनकी जड़ें आरएसएस में हैं और उनका कद पार्टी में काफी बढ़कर माना जाता है। चित्तौड़गढ़ में अपने कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में एबीवीपी के साथ शुरुआत करते हुए वह भदेसर में जिला परिषद सदस्य बने और उप-प्रधान पद तक पहुंचे। वह राजस्थान भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) कई भी पदों पर रहे।
2014 में सीपी जोशी ने 3.16 लाख वोटों से चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। उन्होंने 2019 में एक बार जीत हासिल कर कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी गोपाल सिंह शेखावत को हराया था। इस बार वोटों का अंतर पहले से बढ़कर 5.76 लाख वोट था । यह 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में दूसरी सबसे बड़ी जीत का अंतर था।
क्या है जाति का समीकरण?
सीपी जोशी अगस्त 2020 से भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। माना जा रहा है कि चुनावी साल में भाजपा एक ब्राह्मण नेता को अपना मुखिया बनाकर इस वर्ग को साधने का प्रयास कर रही है। राजस्थान में चार ब्राह्मण मुख्यमंत्री रहे हैं और यह एक समुदाय से मुख्यमंत्री बनने वाले लोगों की सबसे अधिक संख्या है।
भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष पूनिया जाट हैं। हालांकि इस समुदाय की संख्या ब्राह्मणों से काफी अधिक है, लेकिन राजस्थान में इसका कभी कोई मुख्यमंत्री नहीं रहा है।
फिलहाल जब भी राजस्थान में पार्टी के भीतर ब्राह्मण प्रतिनिधित्व की बात आती है तो भाजपा खाली दिखाई देती है। राजस्थान बीजेपी में आखिरी बार घनश्याम तिवारी के रूप में एक लंबे समय तक दिखाई दिए ब्राह्मण नेता थे। वह छह बार विधायक रहे थे। घनश्याम तिवारी ने तत्कालीन बीजेपी सीएम वसुंधरा राजे के साथ अपने मतभेदों के बाद भाजपा का दामन छोड़ दिया था।
इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हालांकि एक बार फिर वह भाजपा में लौट आए हैं लेकिन 75 वर्ष के घनश्याम तिवारी का मयार अब पार्टी में पहले जैसा नहीं रह गया है। सीपी जोशी को संगठन की समझ रखने वाले एक मजबूत नेता के तौर पर जाना जाता है।