Rajasthan Government: राजस्थान में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए गहलोत सरकार एक्टिव मूड में आ गई है। अपराध पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने महाराष्ट्र, यूपी, दिल्ली और कर्नाटक की तर्ज पर संगठित अपराधों के खिलाफ एक विधेयक लाने का फैसला किया है।
गहलोत कैबिनेट ने बुधवार को राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण (आरओसीसी) विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। जल्द ही विधानसभा में इसको लेकर बिल पेश किया जाएगा।
कैबिनेट बैठक के बाद सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अपराध का स्वरूप बदल गया है और अपराधियों ने गिरोह बना लिए हैं और इससे निपटने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है।
ROCC के दायरे में कौन सा अपराधी आएगा?
प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, जिस अपराधी के खिलाफ पिछले दस वर्षों में एक से अधिक आरोप पत्र अदालत में दायर किए गए हैं और अदालत ने इसका संज्ञान लिया है या कोई ऐसा व्यक्ति जो एक संगठित अपराध गिरोह के सदस्य के रूप में अपराध करता है, जो संज्ञेय है और तीन साल या उससे अधिक के लिए दंडनीय है। वो ROCC के दायरे में आएगा।
प्रस्तावित विधेयक में कहा गया है कि संगठित अपराध में किसी व्यक्ति या संगठित अपराध गिरोह के सदस्य द्वारा हिंसा, डराना या जबरदस्ती करना शामिल है। एक आपराधिक गिरोह को हिंसा और डराने-धमकाने में शामिल दो या दो से अधिक लोगों के अपराधियों के समूह के रूप में परिभाषित किया गया है।
विधेयक में मृत्युदंड या आजीवन कारावास और पीड़ित की मृत्यु के मामले में न्यूनतम 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही, आपराधिक साजिश, एक आपराधिक गिरोह के सदस्यों को आश्रय देना, कम से कम पांच साल के कारावास की सजा होगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही कम से कम 5 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा विधेयक में संगठित अपराध से संपत्ति अर्जित करने पर कम से कम तीन साल के कारावास का प्रावधान है, जो आजीवन कारावास हो सकता है। साथ ही संगठित अपराध के लिए उकसाने वाले लोकसेवक को अधिकतम तीन साल की कैद और जुर्माने का भी प्रावधान है।