Rajasthan Elections: राजनीति ने डाली रिश्तों में फूट, चुनाव में आमने-सामने हैं ये रिश्तेदार
धौलपुर विधानसभा क्षेत्र से जीजा और साली एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी रण में आ गए हैं। भाजपा ने जहां वर्तमान विधायक शोभारानी कुशवाह को प्रत्याशी बनाया हैं तो वहीं कांग्रेस ने शोभारानी के जीजा जी यानि की डॉ. शिवचरण कुशवाह को प्रत्याशी बनाकर उनके खिलाफ चुनावी जंग में उतार दिया है। वहीं बीकानेर सीट पर पति-पत्नी आमने-सामने हैं।

राजस्थान में चुनावी बिगुल बज चुका है और सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं। चुनाव के इस मौसम में सत्ता का स्वाद चखने की ललक रिश्तों पर भारी पड़ रही है। राजस्थान चुनाव में कई सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी रण में उतरे उम्मीदवार करीबी रिश्तेदार हैं। एक-दूसरे के खिलाफ जमकर प्रचार करने वाले ये नेता जीतने के लिए पूरा दमखम लगा रहे हैं। आइए जानते हैं कि किन सीटों पर आमने-सामने हैं रिश्तेदार।
धौलपुर विधानसभा क्षेत्र से जीजा और साली एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी रण में आ गए हैं। भाजपा ने जहां वर्तमान विधायक शोभारानी कुशवाह को प्रत्याशी बनाया हैं तो वहीं कांग्रेस ने शोभारानी के जीजा जी यानि की डॉ. शिवचरण कुशवाह को प्रत्याशी बनाकर उनके खिलाफ चुनावी जंग में उतार दिया है। जीजा-साली के आमने-सामने आने से यह चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। इन दोनों के नामांकन का दृश्य भी काफी मजेदार था। हुआ यूं कि नामांकन के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी रजनीकांता यानि बीजेपी प्रत्याशी की बहन भी मौजूद थी। दोनों बहनें आमने-सामने आने पर गले मिलीं और बड़ी बहिन ने छोटी बहिन को आर्शीवाद दिया।
धौलपुर सीट के अलावा बीकानेर की एक सीट पर भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला जहां पति-पत्नी एक-दूसरे के आमने-सामने चुनावी रण में खड़े हैं। मजे की बात तो ये है कि दोनों ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि यहां रिश्तों में खट्टास नहीं बल्कि प्यार है। दोनों पति-पत्नी एक साथ स्कूटर पर चुनाव प्रचार करते नज़र आते हैं।
वहीं दौसा की महुआ विधानसभा सीट पर एक ही परिवार से चाचा और भतीजा एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में कुल 5 विधान सभा सीटें हैं पर महुआ सीट चाचा-भतीजे की लड़ाई के कारण हॉट सीट बनी हुई है। यहां कांग्रेस ने भतीजे अजय बोहरा को तो बसपा ने चाचा विजय शंकर बोहरा को टिकट दिया है। इसके अलावा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री ललित भाटी भी चुनावों में अपने ही भाई के सामने मैदान में आ डटे थे। लेकिन काफी मान मनौवल के बाद बेमन से भाटी ने अपना नामांकन वापस लिया और अपने भाई हेमंत भाटी को समर्थन दिया। हालांकि इस तरह के प्रत्याशी चुनावी रोचकता को और बढ़ा रहे हैं लेकिन देखना ये है कि 11 दिसंबर को कौन किस पर भारी पड़ता है।
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