Koregaon Bhima anniversary: पुणे पुलिस (Pune Police) ने जिले के पेरने गांव में ‘जयस्तंभ’ (Jaystambh) से जुड़े मुद्दों और सोशल मीडिया (Social Media) पर फैल रही संवेदनशील अफवाहों (sensitive messages) के बीच रविवार पूरे इलाके में धारा-144 लागू कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक इस तरह की सामग्री वाले होर्डिंग्स और फ्लेक्स बोर्ड (hoardings and flex boards) लगाने पर भी निषेधाज्ञा जारी की गई है। पुलिस ने बताया कि धारा 144 लगाए जाने के पीछे की वजह जयस्तंभ से संबंधित सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट हैं, जहां बड़ी संख्या में समर्थक कोरेगांव भीमा (Koregaon Bhima) की लड़ाई की 205वीं वर्षगांठ का प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए हैं।
Social Media पर जारी संदेशों पर पुलिस सतर्क
पुणे पुलिस के एक बयान में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर टेक्स्ट मैसेज, व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम आदि सहित विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाएं, अफवाहें और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मैसेज और ऐसी सामग्री वाले फ्लेक्स बोर्ड, होर्डिंग और पोस्टर पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है। आदेश में कहा गया है कि इन आदेशों का उल्लंघन करने वाली किसी भी कार्रवाई पर आईपीसी की धारा 188 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
एक जनवरी, 2018 को Koregaon Bhima में हुई हिंसा
कोरेगांव-भीमा लड़ाई के 205 वर्ष पूरे होने के मौके पर रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच राजनीतिक नेताओं समेत सैकड़ों लोग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित जयस्तंभ सैन्य स्मारक पहुंचे। एक जनवरी, 2018 को कोरेगांव-भीमा में हुई हिंसा के मद्देनजर स्मारक के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई थी। पुणे के प्रभारी मंत्री चंद्रकांत पाटिल स्मारक पर जाने पर स्याही फेंके जाने की धमकी मिलने का हवाला देते हुए वहां नहीं गए। पाटिल पर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर और समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के बारे में उनके विवादित बयान को लेकर परोक्ष तौर पर विरोध को लेकर पिछले महीने पुणे जिले के पिंपरी कस्बे में एक कार्यक्रम के दौरान स्याही फेंक दी गई थी।
पेशवा (Peshwa) के ‘जातिवाद’ से मुक्ति के लिए छेड़ा था युद्ध (War)
दलित विमर्श के अनुसार एक जनवरी, 1818 को कोरेगांव भीमा में पेशवा की फौज से लड़ने वाली ब्रिटिश सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के सैनिक शामिल थे, जिन्होंने पेशवा के ‘जातिवाद’ से मुक्ति के लिए युद्ध छेड़ा था। हर साल इस दिन, बड़ी संख्या में लोग मुख्य रूप से दलित समुदाय के व्यक्ति जयस्तंभ पहुंचते हैं। अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा के खिलाफ लड़ने वाले सैनिकों की याद में यह स्मारक बनवाया था। एक जनवरी, 2018 को ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान कोरेगांव भीमा गांव के पास हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।