सिमी पर बैन के खिलाफ उतरा मुस्लिम संगठन, आतंकवादी हमले की जांच पर उठाए सवाल
पुणे के संगठन मुलनीवासी मुस्लिम मंच ने स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ आवाज उठाई है। संगठन ने सिमी पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के पर्याप्त कारणों पर सवाल खड़े किए हैं।

पुणे के एक मुस्लिम संगठन मुलनिवासी मुस्लिम मंच (एमएमएम) ने स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध लगाए जाने के खिलाफ आवाज उठाई है। मंच का दावा है कि सिमी ऑपरेटिव्स के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने संबंधी जांच ‘सदिंग्ध’ है।
एमएमएम के अध्यक्ष अंजुम इनामदार ने केंद्र सरकार की तरफ से गठित ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया। अंजुम ने ट्रिब्यूनल से यह तय करने को कहा है कि क्या सिमी पर प्रतिबंध लगाए जाने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं। ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट की जज मुक्ता गुप्ता हैं। ट्रिब्यूनल में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद, वरिष्ठ वकील सचिन दत्ता व अन्य शामिल हैं।
ट्रिब्यूनल इस मामले में पहले ही 3 और 4 मई को पुणे में सुनवाई कर चुका है। शुक्रवार को इसकी औरंगाबाद में सुनवाई शुरू हुई। एमएमएम के अध्यक्ष जस्टिस गुप्ता की तरफ से सुनवाई को स्थगित किए जाने के कुछ समय बाद ट्रिब्यूनल पहुंचे।
इनामदार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मैं यहां अपने संगठन के लेटरहेड पर अपनी बात के साथ पहुंचा था। जस्टिस गुप्ता ने कहा कि मैं कुछ मिनट देरी से पहुंचा हूं लेकिन उन्होंने मेरी बात सुनने में रुचि व्यक्त की।’
जस्टिस गुप्ता ने कहा कि मुझे जो कहना है वह मैं हलफनामे के रूप में शनिवार को दाखिल करूं ना कि अपने संगठन के लेटरहेड के रूप में। मैं ऐसा ही करूंगा।
उन्होंने कहा, हम सिमी पर प्रतिबंध का विरोध करेंगे। मैं कई सालों तक एक्टिविस्ट रहा हूं और मैंने विभिन्न आतंकी गतिविधियों में कई संदिग्धों की गिरफ्तारी को करीब से देखा है। उन्हें सिमी के ऑपरेटिव्स के रूप में दिखाया जाता है।
मैंने पाया कि विभिन्न एजेंसियों की तरफ से इस मामले में जांच संदिग्ध है। आतंकी गतिविधियों में लोगों की गलत गिरफ्तारी उन लोगों के साथ अन्याय है। मैं पूरी कहानी के इस दूसरे हिस्से को को ट्रिब्यूनल के सामने लाना चाहता हूं जो मुझे लगता है कि सच है।