आरक्षण के मुद्दे पर कर्नाटक सरकार के फैसले को लेकर बंजारा समाज गुस्से में है। इसके चलते शिवमोग्गा में सैकड़ों की संख्या में लोग पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा के घर और कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान उनके घर पर पत्थर भी फेंके गए। प्रदर्शन कर रहे लोग बंजारा समुदाय के हैं, जो हाल ही में कर्नाटक सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण पर लिए गए फैसले का विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) द्वारा गठित एजे सदाशिव आयोग की एक रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया गया है। राज्य में अनुसूचित जाति के आरक्षण को उप-वर्गीकृत करने की आवश्यकता को देखने के लिए 2005 आयोग बनाया गया था। बंजारा समुदाय के नेताओं ने आरोप लगाया है कि आरक्षण पर राज्य सरकार के फैसले से उन्हें नुकसान होगा और उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार तुरंत केंद्र को भेजी गई सिफारिश को वापस ले।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठचार्ज भी किया। इस दौरान एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। बंजारा समुदाय का कहना है कि नई नीति से उनके हितों का नुकसान होगा और वे वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा की गई ये सिफारिश
बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने केंद्र को शिक्षा और नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण को लेकर एक सिफारिश भेजी है। इसमें उन्होंने अनुसूचित जाति समुदाय के लिए 17 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की है। इसमें से 6 प्रतिशत अनुसूचित जाति (लेफ्ट), 5.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति (राइट), 4.5 प्रतिशत छूत के लिए और एक प्रतिशत अनुसूचित जाति (लेफ्ट) एवं अन्य के लिए निर्धारित किए जाने की सिफारिश की गई है।
वहीं, ओबीसी आरक्षण में 2बी श्रेणी केवल मुस्लिमों के लिए थी जिसे भाजपा सरकार ने समाप्त करते हुए कहा कि यह संवैधानिक रूप से वैध नहीं है। सरकार ने 2बी के तहत पूर्व में मुस्लिमों को दिए गए चार प्रतिशत आरक्षण को राज्य में प्रभावशाली वोक्कालिगा और वीरशैवा लिंगायत को क्रमश: 2सी और 2डी श्रेणी के तहत दो-दो प्रतिशत बांट दी। सरकार के फैसले के बाद 2बी श्रेणी समाप्त हो गई और वोक्कालिगा का आरक्षण चार प्रतिशत से बढ़कर छह प्रतिशत और लिंगायत समुदाय का आरक्षण पांच प्रतिशत से बढ़कर सात प्रतिशत हो गया।