Prayagraj Violence: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने शनिवार को वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता जावेद मोहम्मद को सात माह बाद जमानत दे दी। जावेद 2022 में प्रयागराज में हुआ हिंसा मामले में मुख्य आरोपी (Prime Accused Javed) हैं। उस पर भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप लगाया गया है, जिसने कथित रूप से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और पुलिस वाहनों को आग लगा दी थी।
मामले की सुनवाई कर रहे जज समीर जैन की पीठ ने कहा कि प्राथमिकी और जांच के दौरान दर्ज किए गए अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों से पता चलता है कि अपीलकर्ता सहित सभी आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ सामान्य आरोप लगाए गए।
कोर्ट ने कहा कि न प्राथमिकी में और न ही जांच के दौरान दर्ज किए गए अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में यह आरोप लगाया गया है कि जावेद लोगों को भड़का रहा था या भीड़ का नेतृत्व कर रहा था या उसके हाथ में कोई हथियार था या वह बम फेंक रहा था या वाहनों में आग लगा रहा था। कोर्ट ने इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते कहा कि इस आधार पर अपीलकर्ता को जमानत देने के लिए काफी है।
‘जावेद ने भीड़ का बम फेंकने या पथराव करने का निर्देष नहीं दिया था’
हालांकि, अदालत ने अभियुक्त के इस बयान को ध्यान में रखा कि उसने लोगों को बम फेंकने और पथराव करने का निर्देश नहीं दिया था, लेकिन जब भीड़ इकट्ठी हो गई तो वह अनियंत्रित हो गई और उसके बाद वह खुद किसी तरह मौके से भाग निकला।
आरोप है कि 10 जून 2022 को शुक्रवार की नमाज के बाद हजारों लोगों की उग्र भीड़ ने पुलिसकर्मियों और राहगीरों पर पथराव और बम फेंकना शुरू कर दिया। इस दौरान पुलिस कर्मचारियों के मोबाइल छीनने की कोशिश की गई और पथराव भी किया। जिसमें कई पुलिस कर्मी घायल हुए थे।
आरोपों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए पथराव शुरू कर दिया, जिसके बाद विरोध हिंसक हो गया। जब सुरक्ष कर्मियों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया तो प्रदर्शनकारियों की तरफ से किए गए पथराव में कई सुरक्षाकर्मी चोटिल हो गए थे। कई पुलिस के वाहनों को भी नुकसान हुआ। यूपी पुलिस ने आरोप लगाया है कि जावेद पंप ने पैगंबर मोहम्मद पर एक भाजपा नेता के विवादास्पद बयानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था।