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दिखावे की राजनीति

पिछले दिनों राजधानी में दिल्ली नगर निगम का चुनाव परिणाम आया तो उसके चंद घंटो बाद ही सत्ता पर काबिज पार्टी के पार्षदों ने जमीन पर मोर्चा संभाल लिया।

MCD Mayor

पार्षदों ने इलाके में सफाई अभियान चलाया। हर मिनट किसी न किसी इलाके में सफाई अभियान चलाए जाने का फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया जाने लगा।

जब सदन में महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के अध्यक्ष के चुनाव नहीं हो रहे हैं, पार्षद शांत से पड़ गए हैं। न तो सफाई अभियान का फोटो साझा किया जा रहा है और न ही गंदगी साफ की जा रही है। इसको लेकर चर्चा जोरो पर है कि पार्षद दिखावे की राजनीति में विश्वास करते हैं।

सड़कें सुधरें तो मिले राहत

अब तक प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से हांफ रहे दिल्ली वालों को अब टूटी सड़कें सता रही है। मौसम में आए बदलाव के बाद दिल्ली के अंदर प्रदूषण का स्तर भले ही कम हुआ है लेकिन खिली धूप के बाद सड़कों पर नमी की मात्रा में कमी आई है। नमी में कमी आते ही धूल भरी हवाएं चल रही है और दिल्ली वालों की परेशानियां बढ़ा रही है। जगह-जगह निर्माण कार्य की वजह से मलबे के ढेर लगे है जो वायु प्रदूषण में धूल बढ़ाने की अहम जिम्मेदारी निभाते हैं। दिल्ली-सहारनपुर कारिडोर का निर्माण कार्य इसका उदाहरण है।

वर्षों से लंबित विवेचनाएं

दिल्ली से सटे यूपी के औद्योगिक महानगर में होने वाली पुलिस मुठभेड़ और गुडवर्क को लेकर होने तकरीबन रोजाना होने वाली प्रेसवार्ता से इतर यहां सबसे ज्यादा साइबर अपराध होते हैं। ज्यादातर ऐसे साइबर अपराध थानों में दर्ज भी होते हैं। आलम यह है कि साइबर अपराध के अधिकांश मामले बगैर परिणाम के सालों लटके रह रहे हैं। यहां तक कि 2019, 20, 21 तक की विवेचनाएं लंबित हैं।

शहर के एक थाने के एक मामले में आइओ और पर्यवेक्षक बदले हैं। जिसमें थाने में तैनात आईटी फौज की बड़ी भूमिका बताई गई है। ये वो हैं, जो अपना काम छोड़ बाकी कामों में लगे रहते हैं। दीगर है कि पहले एसएसपी के अधीन और अब पुलिस आयुक्त के अधीन सभी थानों का यही हाल है। लंबे समय से लंबित बड़ी-बड़ी विवेचना को न थाना प्रभारी ध्यान दे रहे हैं और न ही उनके ऊपर बैठे अधिकारी।

किन शर्तों पर होगा चुनाव

निगम महापौर का चुनाव किन शर्तों पर होगा, यह अभी तय नहीं हुआ है। अलबत्ता कुछ भी कहने से परहेज करना पड़ेगा। मसलन दिल्ली नगर निगम के महापौर के चुनाव तीन बार स्थगित होने के बाद इस बार चुनाव हो पाएगा या नहीं। बेदिल को निगम के एक सूत्र ने बताया कि इस बार सुप्रीम अदालत के नोटिस को गंभीरता से ले लिया गया तो फिर चुनाव अवश्यंभावी है।

सूचना विभाग ठप

पुलिस मुख्यालय में बैठे आला अधिकारी कभी भी कोई फरमान निकाल सकते हैं। ऐसी चर्चा इन दिनों वहां के गलियारे में खूब हो रही है। दरअसल, बीते तीन दशकों से ज्यादा समय से अपराध की खबर लिखने वाले एक सज्जन ने कहा कि उनके लिए पुलिस मुख्यालय का जनसंपर्क विभाग सबसे सुरक्षित और आराम वाली जगह थी जहां, जब चाहें वे जाकर खबर लिख सकते थे। इतना ही नहीं उन्हें कुछ ताजा खबरों की जानकारी भी इसी विभाग से मिल जाया करती थी। लेकिन अब वही विभाग शाम सात बजे बंद हो जाता है।
-बेदिल

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First published on: 13-02-2023 at 09:02 IST
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