किसान आंदोलनः नरेंद्र मोदी ने किया साल का आखिरी ‘Mann ki Baat’, ताली-थाली बजा अन्नदाताओं ने किया विरोध
'मन बात बात' के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों ने थाली और ताली बजाकर पीएम का विरोध किया।

केंद्र के तीन कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के बीच पीएम मोदी ने आज यानी रविवार को ‘मन की बात’ की। मोदी का ये साल का आखिरी मन की बात कार्यक्रम था। इस दौरान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे अन्नदाताओं ने थाली और ताली बजाकर उनके कार्यक्रम का विरोध किया। कई किसान नेता पहले ही इस तरह के विरोध की मंशा जता चुके थे। ‘मन बात बात’ के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों ने थाली और ताली बजाकर पीएम का विरोध किया।
बता दें कि पीएम ने कार्यक्रम के जरिए करीब 30 मिनट देश की जनता को संबोधित किया। उन्होंने कोरोना वायरस, लॉकडाउन, आत्मनिर्भर भारत अभियान, स्वच्छ भारत अभियान, तेंदुओं-शेरों की आबादी, समुद्र तटों की सफाई और लोगों के उन्हें भेजे गए पत्र आदि का जिक्र किया। हालांकि उन्होंने एक महीने से जारी किसान आंदोलन पर एक शब्द नहीं कहा।
इसी तरह आप नेता और पंजाब से सांसद भगवंत मान ने थाली बजाकर पीएम का विरोध किया। उनके साथ आप के एक अन्य विधायक ने भी मन की बात कार्यक्रम के दौरान थाली बजाई। मान ने कहा कि हमने किसानों के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी की झूठी मन की बात के खिलाफ थाली बजा कर विरोध जताया।
सांसद @BhagwantMann और विधायक @meet_hayer ने किसानों के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी की झूठी मन की बात के खिलाफ थाली बजा कर विरोध जताया।
pic.twitter.com/Y3buh9Mlxd— AAP (@AamAadmiParty) December 27, 2020
इधर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया और अगले दौर की वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया, ताकि नए कानूनों को लेकर बना गतिरोध दूर हो सके। संगठनों ने साथ ही यह स्पष्ट किया कि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया। इस फैसले से एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर दिया था कि उनकी सरकार अपने कटु आलोचकों समेत सभी से बातचीत के लिये तैयार है, लेकिन यह बातचीत ‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’ पर आधारित होनी चाहिये। उन्होंने केन्द्र और किसानों के बीच वार्ता में गतिरोध के लिये राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना भी साधा था। (एजेंसी इनपुट)