Atri Mitra, Joyprakash Das
वैसे तो प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (PMAY-G) के लिए जो मानदंड तय किए गए हैं, उसके अनुसार पात्र वही हैं जिनके पास अपना घर नहीं है और वह आर्थिक रूप से गरीब हैं। लेकिन द इंडियन एक्सप्रेस के इन्वेस्टिगेशन के अनुसार पश्चिम बंगाल (West Bengal) में स्थिति कुछ अलग है। पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण के लाभार्थियों के रूप में स्थानीय प्रशासन द्वारा जो सूची तैयार की गई है, उसमें कुछ तृणमूल कांग्रेस के नेता भी शामिल है।
PMAY-G के लिए धनराशि जारी नहीं हुई है
हालांकि अभी तक इसके लिए धनराशि जारी नहीं हुई है। लेकिन अगर स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन नहीं होता, तो अब तक धनराशि भी जारी हो जाती और जिनका नाम लिस्ट में है वह इसे हासिल भी कर लेते।
पुरबा बर्धमान (Purba Bardhaman) से सीपीआईएम (CPIM) के जिला सचिवालय सदस्य अपूरबा चटर्जी ने कहा, “मुख्य स्वीकृतियां जिला स्तर पर की जाती हैं और इसलिए पीएमएवाई-जी के तहत एक्सटेंशन के लिए धन का उपयोग करने के लिए घर के मालिकों के साथ मिलीभगत कर स्थानीय कर्मचारियों के लिए यह आसान है।” अभी यह मुद्दा बीजेपी और टीएमसी के बीच टकराव का कारण बना हुआ है। बीजेपी टीएमसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है।
पिछले साल आठ महीने से अधिक समय तक राज्य में योजना को रोकने के बाद केंद्र ने आखिरकार नवंबर में 11,36,488 PMAY-G घरों के लिए 8,200 करोड़ रुपये आवंटित किए। इस योजना ने एक राजनीतिक तूफ़ान भी खड़ा कर दिया है, जिसमें टीएमसी ने कहा है कि इसे केंद्र द्वारा गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। वहीं भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री निशित प्रमाणिक (BJP leader and Central Minister Nishit Pramanik) के पिता की भी कूचबिहार जिले में योजना के संभावित लाभार्थी के रूप में पहचान की गई है। जवाब में प्रमाणिक ने दावा किया है कि नाम एक राजनीतिक “षड्यंत्र” के हिस्से के रूप में जोड़ा गया।
लाभार्थी सूचियों की जांच करने, साइट का दौरा करने, और आवेदकों और स्थानीय अधिकारियों के इंटरव्यू के बाद इंडियन एक्सप्रेस ने जो पाया, वह प्रक्रिया के पहले चरण ब्लॉक स्तर में खामियां थीं।
द इंडियन एक्सप्रेस ने पूर्वी बर्धमान, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना का दौरा किया। ये तीन जिले इस योजना को लेकर स्थानीय निवासियों के विरोध का साक्षी रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने पाया कि एक टीएमसी शासित पंचायत के उप प्रधान से लेकर एक पार्टी के कोर कमेटी सदस्य और एक स्थानीय तृणमूल कार्यकर्ता जो एक पंचायत कर्मचारी भी है, उन सभी के पास पक्के घर थे और फिर भी स्थानीय स्तर पर PMAY के लिए पात्र पाए गए हैं।
जब संपर्क किया गया, तो उनमें से एक ने प्रक्रिया को एक “गलती” बताया, वहीं दूसरे ने कहा कि उन्हें शामिल किए जाने के बारे में पता नहीं था और तीसरे ने कहा कि उन्होंने अपना नाम हटाने के लिए खंड विकास अधिकारी (BDO) से बात की थी। बीडीओ ने पंचायत स्तर पर प्रारंभिक सर्वेक्षण और प्रक्रिया पर नियंत्रण की कमी को दोष देते हुए दावा किया कि वे कई नामों को हटाकर सूची को “साफ़” कर रहे हैं।
पूर्ब बर्धमान
तृणमूल शासित उप-प्रधान जहांगीर सेख खंडोघोष प्रखंड के शाखरी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले केशबपुर गांव में तीन मंजिला मकान के मालिक हैं, जिसमें सीसीटीवी कैमरा और बगल में एक निर्माणाधीन मकान है। ब्लॉक स्तर पर तैयार की गई संभावित PMAY -G लाभार्थियों की सूची में उनकी पत्नी सिमा का नाम, उनके भाइयों आलमगीर और आजमगीर और उनके पिता शेख महासेन का नाम भी है, जिनकी पिछले साल मृत्यु हो गई थी।