नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर कथित रूप से लोगों को परेशान करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के सभी विपक्षी नेता राज्य के दर्जे की मांग के लिए विभिन्न दलों के राष्ट्रीय नेताओं से समर्थन लेने के लिए दिल्ली आएंगे। उन्होंने कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मांग को लेकर चुनाव आयोग से भी मुलाकात करेगा।
जम्मू में अपने निवास पर कई विपक्षी दलों के साथ तीन घंटे की लंबी बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी बैठक में UT में मौजूदा स्थिति पर चर्चा की गई और इसे अपने मौजूदा दलदल से बाहर निकालने के तरीकों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा, “हम देश के अन्य राज्यों की तरह एक शक्तिशाली राज्य का दर्जा चाहते हैं, न कि छोटे राज्य का दर्जा।”
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हम विधानसभा चुनाव जल्द कराने के लिए चुनाव आयोग (Election Commission) से भी मिलेंगे।” एक निर्वाचित सरकार की बर्खास्तगी के छह महीने के भीतर चुनाव आयोजित किया जाना चाहिए। अब्दुल्ला ने कहा कि 2014 के बाद से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। जबकि सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले में कहा गया है कि निर्वाचित सरकार की बर्खास्तगी के छह महीने के भीतर चुनाव होने चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया था कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य है और मई में घाटी में जी -20 देशों की एक बैठक भी आयोजित की जाएगी इसको लेकर फारूक अब्दुल्ला ने पूछा कि चुनाव क्यों नहीं हो सके?
यह पूछे जाने पर कि क्या जम्मू-कश्मीर विपक्षी प्रतिनिधिमंडल दिल्ली यात्रा के दौरान पीएम मोदी और अमित शाह से भी मुलाकात करेगा, उन्होंने कहा कि वे अन्य राष्ट्रीय नेताओं से मिलने के बाद ही इसका फैसला करेंगे। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “इसके बाद हम भविष्य की कार्रवाई तय करने से पहले जम्मू और कश्मीर में फिर से मिलेंगे।”
फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में प्रशासन द्वारा हाल ही में विध्वंस अभियान को भी लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “सरकार रोजगार देने में विफल रही है। आपने कई साल पहले 50,000 नौकरियों का वादा किया था। अब तक कितने को नियुक्त किया गया है।”