एनआईए का खुलासा, इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक के एनजीओ का रियल एस्टेट में 100 करोड़ का है निवेश, 78 बैंक खातों की जांच जारी
फिलहाल जाकिर नाईक गिरफ्तारी से बचने के लिए देश से फरार है। इसके साथ ही उसके भाषणों का प्रसारण इंग्लैंड, कनाडा और मुस्लिम बहुल मलेशिया में भी प्रतिबंधित है।

राष्ट्रीय सुरक्षा जांच एजेंसी (एनआईए) ने खुलासा किया है कि विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) का 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश रियल एस्टेट बिजनेस में है। इसके अलावा एनआईए के अधिकारी अभी एनजीओ के 78 बैंक खातों की जांच कर रहे हैं। पिछले साल 19 नवंबर को जांच एजेंसी ने मुंबई में आईआरएफ के 10 ठिकानों पर छापेमारी की थी। ये छापेमारी नाईक के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद की गई थी। इससे पहले केन्द्र सरकार ने नाईक के एनजीओ पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंध लगाते हुए उसकी जांच के आदेश दिए थे।
पिछले साल नाईक का एनजीओ जांच एजेंसियों के निशाने पर उस वक्ता आ गया था जब 1 जुलाई 2016 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए आतंकी हमले के बाद एक आरोपी ने सोशल मीडिया पर यह टिप्पणी की थी कि वो जाकिर नाईक के भाषणों से प्रेरित था। इसके अलावा मुंबई के उप नगरीय इलाकों के कुछ मुस्लिम युवाओं ने आईएस आतंकी संगठन का दामन थामने के लिए 2016 में ही घर छोड़ दिया था और यह आरोप लगाया था कि जाकिर नाईक के भाषणों की वजह से ही वे सभी आईएसआईएस में शामिल होने को प्रेरित हुए।
इन घटनाओं के बाद गृह मंत्रालय ने पाया कि नाईक के एनजीओ का अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक चैनल पीस टीवी से संदिग्ध लिंक हैं। इस टीवी चैनल पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं।
इस साल 13 जनवरी को आईआरएफ ने केन्द्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को अदालत में चुनौती दी थी लेकिन सरकार ने उसके दावे को अदालत में यह कहते हुए खारिज करने की दलील दी कि आईआरएफ देश के युवाओं को आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा ने भी सुनवाई के दौरान नाईक के एनजीओ के खिलाफ गंभीर टिप्पणी की थी। फिलहाल जाकिर नाईक गिरफ्तारी से बचने के लिए देश से फरार है। इसके साथ ही उसके भाषणों का प्रसारण इंग्लैंड, कनाडा और मुस्लिम बहुल मलेशिया में भी प्रतिबंधित है।
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