5 साल पहले हाई टेंशन तार ने छीन ली थीं बाहें, अदालत ने दिया ₹1 करोड़ मुआवजा देने का निर्देश
घटना 18 मार्च 2012 को हुई जब लड़का जो उस वक्त आठ साल का था, वह अपनी मां के साथ खेत से साग लेने गया था।

खेत में हाई टेंशन तार के संपर्क में आने के बाद अपने दोनों हाथ गंवाने वाले 12 वर्षीय लड़के को उच्चतम न्यायालय ने एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने लापरवाही के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार को परोक्ष तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए यह आदेश दिया। मुआवजा देते हुए शीर्ष अदालत ने लड़के की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर गौर किया और पाया कि उसके पास सीमित साधन हैं और मेधावी छात्र के रूप में उसका प्रदर्शन शानदार रहा है और उसने अपने जीवन में अच्छी कमाई की होती। न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ ने कहा, ‘‘हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हमारी राय में सही कहा कि सवालों के घेरे में आई घटना राज्य और उसके अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हुई और इसलिए राज्य प्रतिवादी को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए परोक्ष रूप से जिम्मेदार है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने हमारी राय में सही कहा कि प्रतिवादी की पारिवारिक पृष्ठभूमि के मद्देनजर और पढ़ाई में मेधावी छात्र होने के नाते उसके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए वह अपने जीवन में आसानी से प्रति माह 30 हजार रच्च्पये कमा लेता है। हम इस निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने का कोई अच्छा आधार नहीं पाते हैं, जो हमारी राय में रिकॉर्ड में उचित सामग्री पर आधारित है।’’ पीठ ने राज्य से तीन महीने के भीतर राशि को जमा करने को कहा।
यह घटना 18 मार्च 2012 को हुई जब लड़का जो उस वक्त आठ साल का था, वह अपनी मां के साथ खेत से साग लेने गया था। वह हाई टेंशन तार के संपर्क में आया और अचेत हो गया और गंभीर रूप से जल गया। एक सप्ताह बाद, कांगड़ा जिले में टांडा में राजेंद्र प्रसाद मेडिकल अस्पताल में उसकी दोनों बांहें काटनी पड़ी। लड़का 100 फीसदी अशक्त हो गया और उसके गरीब माता-पिता को दो लाख रुपए खर्च करने पड़े।
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