इससे पहले, राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह किसानों का समर्थन करने के लिए यूपी गेट पहुंचे थे। अचानक से उनकी तबियत बिगड़ गई। उनका मौके पर ही प्राथमिक उपचार किया गया। बाद में वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। अजित सिंह ने चक्कर आने की शिकायत की थी। रालोद नेता ने किसानों पर पुलिस की कार्रवाई की निंदा की। अपनी मांगों को लेकर हजारों की तादाद में किसान दिल्ली की ओर मार्च किया था। उत्तर प्रदेश की सीमा पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच टकराव शुरू हो गया और पुलिस को लाठी चार्ज करने के अलावा आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार भी किए। इसमें कई किसान घायल हो गए। अब दिल्ली पुलिस ने इस पर सफाई दी है। पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया कि कुछ प्रदर्शनकारी किसानों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इनमें से कुछ किसानों के पास लाठियां भी थीं। पुलिस का दावा है कि इसमें कई जवान घायल हो गए।

पूर्ण ऋण माफी और विद्युत दरों में कमी सहित अन्य मांगों को लेकर ‘किसान क्रांति यात्रा’ के बैनर तले हरिद्वार से चलकर दिल्ली जा रहे किसानों को पुलिस ने गाजियाबाद सीमा पर रोक दिया। प्रदर्शनकारियों ने अपनी 10 दिवसीय यात्रा भारतीय किसान यूनियन की अगुआई में शुरू की थी। प्रदर्शनकारी मंगलवार को उत्तर प्रदेश – दिल्ली की सीमा पर पहुंच गए। प्रदर्शन को देखते हुए दोनों प्रदेशों की सीमा पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया और राष्ट्रीय राजधानी में कुछ इलाकों में धारा 144 भी लागू कर दी गई थी।
किसानों से टकराव के बाद दिल्ली पुलिस ने अपना स्टैंड साफ करने की कोशिश की है। पुलिस ने बताया कि शुरुआत में किसानों को बीकेयू के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच बातचीत होने तक इंतजार करने का आग्रह किया गया था, लेकिन वे हिंसक हो गए। पुलिस का आरोप है कि लाठी-डंडों से लैस प्रदर्शनकारी किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया था।
कृषि राज्य मंत्री जीएस. शेखावत ने बताया कि बीकेयू के प्रतिनिधियों से उनकी बात हुई है। कुछ मुद्दों पर सहमति बन गई है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि किसान संगठन ने विरोध-प्रदर्शन खत्म करने का आश्वासन दिया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बीच कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार ने किसानों के सभी मसलों को सुलझाया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि आजादी के बाद यह पहला मौका है जब किसान सरकार के एजेंडे में शामिल हुआ है। पिछले साढ़े चार वर्षों में इसके नतीजे भी देखने को मिले हैं।
BKU के प्रवक्ता युद्धवीर सिंह ने बताया कि 11 में से 7 बातों पर सरकार सहमत हो गई है और चार मांगों पर बाद में विचार करने की बात कही है। किसान नेता का कहना है कि सरकार और किसानों के बीच मुख्य मुद्दों पर सहमति नहीं बनी है, लिहाजा इसको लेकर किसानों में असंतुष्टि का भाव है। कर्ज माफी पर भी बात नहीं बन सकी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से मार्च कर रहे किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा, “किसानों को दिल्ली में आने की अनुमति मिलनी चाहिए। उन्हें दिल्ली में प्रवेश क्यों नहीं करने दिया जा रहा? यह गलत है। हम किसानों के साथ हैं।”
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को यहां कहा कि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नीत किसान आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। शेखावत ने कहा, “इसके पीछे एक कारण है। चूंकि यह चुनावी साल है..इसलिए बहुत से लोगों के विभिन्न मकसद हैं। यही इसका एकमात्र कारण है। अन्यथा, देश भर के किसान मोदी सरकार से बहुत संतुष्ट और आभारी हैं।” उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने उत्पादन की लागत पर 50 फीसदी लाभ के साथ निश्चित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की थी, लेकिन इन किसानों को एमएसपी तय करते समय इस्तेमाल किए गए फार्मूले की चिंता नहीं है।
राहुल ने कहा, ‘‘अब किसान देश की राजधानी आकर अपना दर्द भी नहीं सुना सकते! ’’ ऋण माफी और ईंधन के दामों कटौती सहित अपनी कई दूसरी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर मंगलवार को रोक दिया गया। पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार की और आंसू गैस के गोले छोड़े।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘किसान क्रांति यात्रा’ को रोकने के लिए किसानों पर कथित तौर पर बल प्रयोग किए जाने को लेकर मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘किसानों की बर्बर पिटाई’ से भाजपा ने अपने गांधी जयंती समारोह की शुरुआत की है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘विश्व अंहिंसा दिवस पर इखढ का दो-वर्षीय गांधी जयंती समारोह शांतिपूर्वक दिल्ली आ रहे किसानों की बर्बर पिटाई से शुरू हुआ।’’
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया से कहा, ”गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किसान नेताओं से मुलाकात की और उनकी मांगों पर चर्चा की। अधिकतर मुद्दों पर सहमति बन गई है। किसान नेता, यूपी के मंत्री लक्ष्मी नारायण, सुरेश राणा और मैं किसानों से मिलने जाएंगे।”
दिल्ली में घुस रहे किसानों को खदेड़ने के लिए पुलिस को पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोलों का उपयोग करना पड़ा। एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई में कई लोग घायल हो गए जिनमें एक प्रदर्शनकारी बेहोश हो गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिसकर्मियों ने ‘लाठीचार्ज’ भी किया।
पूर्वी दिल्ली में पुलिस उपायुक्त (पूर्व) पंकज सिंह ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत आदेश जारी किया जो आठ अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा। 23 सितंबर को शुरू हुआ यह मार्च दो अक्टूबर को संपन्न होगा। इस क्षेत्र में मयूर विहार, न्यू अशोक नगर, गाजीपुर, प्रीत विहार, पांडव नगर, शकरपुर, मधु विहार, जगतपुरी, मंडावली, कल्याणपुरी थाने आते हैं। दिल्ली पुलिस उत्तर प्रदेश पुलिस के भी संपर्क में है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली में प्रवेश न कर सकें। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “उन्होंने प्रदर्शन के लिये दिल्ली पुलिस से कोई इजाजत नहीं मांगी है।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है ”दिल्ली सबकी है। किसानों को दिल्ली में आने से नहीं रोका जा सकता। किसानों की मांगें जायज़ हैं। उनकी मांगें मानी जाएं।”
कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी होने की आशंका को देखते हुए पुलिस ने सोमवार को पूर्वी और उत्तरपूर्वी दिल्ली में एक हफ्ते के लिये निषेधाज्ञा लागू कर दी। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत पांच या उससे ज्यादा लोगों के एक जगह एकत्र होने और सभा करने पर प्रतिबंध रहता है इसके अलावा एम्प्लीफायर, लाउडस्पीकर और ऐसे दूसरे उपकरणों का इस्तेमाल भी प्रतिबंधित रहता है।
देर रात प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों के साथ किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली से वापस लौटे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर मुलाकात की। मुख्यमंत्री और प्रतिनिधिमंडल के बीच करीब दो घंटे चली वार्ता विफल रही और प्रतिनिधिमंडल के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की मांग पर अड़े रहे जिस पर मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत की। इसके बाद भाकियू का एक प्रतिनिधिमंडल गन्ना मंत्री सुरेश राणा के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि किसानों का दिल्ली में प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए और आम आदमी पार्टी किसानों के साथ है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि इस सरकार ने किसानों से किए वादे पूरे नहीं किए तो ऐसे में किसानों को विरोध लाजमी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और हम किसानों का पूरी तरह समर्थन करते हैं।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा, ”हमें यहां (यूपी-दिल्ली बॉर्डर) पर क्यों रोका गया है? रैली बेहद अनुशासित ढंग से आगे बढ़ रही थी। अगर हम अपनी समस्याओं के बारे में अपनी सरकार को नहीं बताएंगे तो किसे बताएंगे? क्या हम पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाएं?”