राजनीतिक रैलियों में नारे लगाते बच्चों को देखकर हर किसी के मन में सवाल पैदा होता है कि आखिर इनको क्यों राजनीति में घसीटा जा रहा है। लेकिन ये बात अब न्यायपालिका के दिमाग में भी कौंध रही है। केरल हाईकोर्ट के एक जज ने बार से अनौपचारिक बात में अपनी चिंता सामने रखी और उसका समाधान भी तलाश करने की कोशिश की। उनका सवाल था कि रैलियों में नारे लगाते बच्चे देश का कैसे हित करेंगे।
केरल हाईकोर्ट के जस्टिस गोपीनाथ का मानना है कि 5-6 साल के बच्चों से धार्मिक नारे लगवाए जा रहे हैं। इस उम्र में ही उनके दिमाग में इस कदर जहर घोला जा रहा है। जब वो बालिग होंगे तो क्या होगा। उनका सवाल था कि क्या बच्चों को राजनीतिक रैलियों में जाने से रोकने के लिए कोई कानून भी है क्या? उनका खुद भी मानना था कि कानून के तहत तो बच्चों से नारे लगवाना या फिर रैलियों में ले जाना जायज नहीं लगता है।
जस्टिस गोपीनाथ पाक्सो से जुड़े कई मामलों की सुनवाई कर चुके हैं। उनका कहना था कि एक रैली का वीडियो देखकर उनका दिल भर आया। इसमें एक शख्स के कंधे पर बैठा बच्चा धार्मिक नारेK लगा रहा था। जबकि उसे ये नहीं पता होगा कि वो क्या कह रहा है। उनका कहना था कि बच्चों को ऐसे घृणित माहौल से दूर रखा जाना चाहिए। उन्हें वोट करने या फिर ड्रार्ईविंग लाईसेंस हासिल करने का अधिकार भी 18 की उम्र के पूरा होने पर ही मिलता है।
उनका कहना था कि बच्चों को ऐसे माहौल से दूर करने के लिए कदम उठाए जाने बेहद जरूरी हैं। ध्यान रहे कि जस्टिस का ये बयान उस घटना के दो दिन बाद सामने आया है जिसमें पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की रैली के दौरान एक बच्चे का वीडियो वायरल हुआ था। केरल के Alappuzha जिले में हुई रैली में बच्चा नारे लगाता दिख रहा था। हालांकि वीडियो वायरल होने पर NHRC के साथ केरल पुलिस ने संज्ञान लिया है। इसमें केस भी दर्ज हुआ है।
#PFI terrorists openly threatening Hindus & Christians
"Hindus should buy rice & flowers for their last rites, Christians should buy incense for their last rites. If you want to live here, live decently otherwise we know how to give Azadi." -Slogans from PFI rally in #Kerala. pic.twitter.com/D1jzrarsz5
— NewsFreak 2.0 (@_peacekeeper2) May 23, 2022
हालांकि रैली से 1 दिन पहले एक शख्स ने हाईकोर्ट में याचिका डालकर चिंता जताई थी कि इस जिले में पहले से ही माहौल खराब है। कई राजनीतिक हत्या यहां हो चुकी हैं। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने याचिका को स्वीकृत करके पुलिस को हिदायत दी थी कि कानून व्यवस्था पर पूरी तरह से नजर रखी जाए। केरल हाईकोर्ट की दूसरी बेंचों ने भी राजनीतिक हिंसा से जुड़े मामलों का संज्ञान लिया है।