राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फिर से भूकंप के झटके लगे। हालांकि ये उतने तीव्र नहीं थे। भूकंप की तीव्रता 2.5 आंकी गई। खास बात है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक माह के भीतर तीसरी बार भूकंप आया है। भूकंप नई दिल्ली से आठ किमी पश्चिम में रात साढ़े नौ बजे आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप की गहराई जमीन से 5 किमी नीचे थी।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, इससे पहले 12 नवंबर को रिक्टर पैमाने पर 5.4 तीव्रता का भूकंप नेपाल में शाम 7.57 बजे के करीब 10 किमी की गहराई पर और उत्तराखंड में जोशीमठ से 212 किमी दक्षिण-पूर्व में आया था। भूकंप के झटके उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए थे।
उससे पहले 9 नवंबर को नेपाल में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके झटके दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस किए गए थे। नेपाल में आए भूकंप में छह लोगों की मौत भी हो गई थी।
भूकंप आने पर बचाव के लिए यह करें
- भूकंप आने पर किसी मजबूत मेज, बेड या किसी और फर्नीचर के नीचे बैठ जाएं। तब तक वहां बैठे रहें जब तक कंपन बंद न हो जाए। अगर आपके पास कोई टेबल या डेस्क नहीं है, तो अपने चेहरे और सिर को अपनी हाथों से ढक लें और बिल्डिंग के किसी अंदरूनी कोने में बैठ जाएं।
- शीशे, खिड़कियों, दरवाजे, दीवार या किसी भी ऐसी चीज से दूर रहें जो गिर सकती है।
- भूकंप के दौरान बाहर जाने की कोशिश तभी करें जब दरवाजा आपके पास हो।
- जब तक कंपन बंद न हो जाए तब तक अंदर रहें। शोध से पता चला है कि ज्यादातर चोटें तब लगती हैं जब इमारत के अंदर रहने वाले लोग इमारत के अंदर किसी दूसरे स्थान पर जाने की कोशिश करते हैं या बाहर निकलने की कोशिश करते हैं।
- ध्यान रखें कि ऐसी स्थिति में बिजली जा सकती है और फायर अलार्म चालू हो सकते हैं।
अगर बाहर हों तो इस तरह करें बचाव
- अगर भूकंप के दौरान आप घर, ऑफिस या किसी इमारत में ना होकर बाहर हैं तो, ऐसी स्थिति में जहां हो वहीं रुक जाओ और हिलो नहीं। इस दौरान, इमारतों, पेड़ों, स्ट्रीटलाइट्स और बिजली के तारों से दूर रहें।
- यदि आप खुली जगह में हैं, तो कंपन बंद होने तक वहीं रहें। सबसे ज्यादा खतरा बिल्डिंग्स के आस-पास होता है। भूकंप से संबंधित अधिकांश दुर्घटनाएं दीवारों के गिरने, कांच के टूटने और वस्तुओं के गिरने के कारण होती हैं।
भूकंप (Earthquake) आने की क्या है वजह
भारत में जनवरी से सितंबर 2022 तक बीते 9 महीनों में अब तक 948 से भी ज्यादा बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। इनमें से 240 भूकंप के झटके ऐसे थे, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 से ऊपर रही। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार इस साल 1090 बार भूकंप आने की जानकारी मिली। भूकंप आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकराना है। इन प्लेट्स के टकराने से फॉल्ट लाइन जोन बनता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। फिर दबाव बनने से प्लेट्स टूटने लगती हैं और धरती हिलने लगती है।