दिल्ली: 25 से 70 फीसदी कम हुए अपराध, पुलिस ने रिपोर्ट में किया दावा
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 30 सितंबर 2018 तक पुलिस ने रेप के 1639 मामले दर्ज किए थे जबकि पिछले साल इसी अवधि में रेप के 1673 मामले दर्ज हुए थे। वहीं साल 2017 में छेड़खानी के 2,535 मामले दर्ज किए गए थे जबकि साल 2017 में कुल 2,610 मामले ही दर्ज हो सके थे।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपराध की स्थिति नियंत्रण में दिखाई देती है। कम से कम आंकड़े तो ऐसा ही बता रहे हैं। दिल्ली पुलिस के द्वारा जारी किए गए 30 सितंबर तक किए गए अपराध के ताजा आंकड़ों में पिछले साल की तुलना में अब तक सभी बड़े अपराधों की संख्या में गिरावट आई है। सिर्फ यही नहीं, कई अपराधों में जिनमें बीते पांच सालों में भारी बढ़त देखी जा रही थी, उनमें भी अब कमी आने लगी है।
टीओआई ने इस संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 30 सितंबर 2018 तक पुलिस ने रेप के 1639 मामले दर्ज किए थे जबकि पिछले साल इसी अवधि में रेप के 1673 मामले दर्ज हुए थे। वहीं साल 2017 में छेड़खानी के 2,535 मामले दर्ज किए गए थे जबकि साल 2017 में कुल 2,610 मामले ही दर्ज हो सके थे।
इसी तरह, इस साल हत्या के कुल 357 मामले दर्ज किए गए हैं जबकि पिछले साल 30 सितंबर तक हत्या के 385 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि साल 2017 में जनवरी और दिसंबर के महीनों में ही हत्या के 487 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले साल की तुलना में इस साल डकैती और छीन-झपट के मामलों में भी खासी गिरावट आई है। साल 2017 में जहां 6,772 छीन-झपट की घटनाएं हुईं थीं। वहीं इस साल सिर्फ 5,034 मामले ही दर्ज किए गए हैं। साल 2018 में डकैती के सिर्फ 1,852 मामले दर्ज हुए हैं जबकि साल 2017 में ये आंकड़ा 2,230 मामलों का था।
चोरी के मामले: इन मामलों में बीते कई सालों में खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। लेकिन इस साल इनमें भी गिरावट देखने को मिली है। साल 2016 में जहां इसके 14,307 मामले दर्ज हुए थे। वहीं साल 2017 में ये आंकड़े गिरकर 9,819 तक आ गए थे। लेकिन 30 सितंबर 2018 तक सिर्फ 3,090 मामले दर्ज हुए थे। पिछले साल में इसी अवधि तक 8,327 मामले दर्ज हो चुके थे। हालांकि पुलिस ने अभी तक ये साफ नहीं किया है इस आंकड़े में मामलों में आॅनलाइन दर्ज की जाने वाली ई-एफआईआर के आंकड़े शामिल हैं या नहीं।
वाहन चोरी के मामले सिर्फ एक वर्चुअल पुलिस स्टेशन पर आॅनलाइन ही दर्ज किए जाते हैं। ये पुलिस स्टेशन वास्तव में भौतिक रूप से कहीं है ही नहीं। इसके परिणामस्वरूप इस श्रेणी के अपराधों में साल दर साल खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। पिछले साल 30 सितंबर तक वाहन चोरी के 20,449 मामले दर्ज हुए थे। जबकि साल 2018 में 30 सितंबर तक सिर्फ वाहन चोरी के 33,273 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। ये साफ बताता है कि हर दिन करीब 125 वाहन चोरी किए जा रहे हैं।
उसी तरह घातक दुर्घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। पिछले साल दर्ज हुए 1087 मामलों की तुलना में इस साल 1,136 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इस प्रकार हादसों की संख्या में करीब 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की जा चुकी है। वहीं फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में भी खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। पिछले साल इस श्रेणी के 15 अपराध दर्ज किए गए थे जबकि इस साल 30 सितंबर तक इस श्रेणी में 17 अपराध दर्ज हो चुके हैं।
वहीं घृणित अपराधों में भी खासी गिरावट सामने आई है। इस साल ऐसे करीब 4,295 अपराध दर्ज किए गए हैं। जबकि पिछले साल 30 सितंबर तक कुल 4,853 मामले दर्ज किए गए थे। साल 2014 में, ये आंकड़ा 10,266 का था और साल 2015 में अब तक कुल 11,187 मामले दर्ज हो चुके थे। ये आंकड़ा साल 2016 में गिरकर 8,238 पर आ गया जबकि साल 2017 में यही आंकड़ा गिरकर 6,527 पर आ गया था।