रोहित वेमुला के मार्च पर पुलिसिया कार्रवाई की दिल्ली विधानसभा ने की निंदा, सिसोदिया ने कहा-ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
रोहित वेमुला के लिए न्याय मांग रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिसिया कार्रवाई की सत्ता पक्ष ने की निंदा, भाजपा के नेता विजेंद्र गुप्ता ने खुद को इस प्रस्ताव का भाग बनाए जाने पर आपत्ति जताई।

दिल्ली विधानसभा ने प्रस्ताव पारित कर रोहित वेमुला के लिए मंगलवार को न्याय की मांग कर रहे प्रदर्शकारियों पर दिल्ली पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की ‘कार्रवाई’ की कड़ी निंदा की और केंद्र सरकार से जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। विपक्ष के नेता ने उन्हें इस प्रस्ताव का भाग बनाए जाने पर आपत्ति जताई जिसके बाद उनका नाम विधानसभा अध्यक्ष द्वारा प्रस्ताव से हटा दिया गया। इसके साथ ही विधानसभा का दो दिवसीय सत्र नेता प्रतिपक्ष के कथित तौर पर ‘आपत्तिजनक शब्दों’ के प्रयोग पर सत्ता पक्ष द्वारा हंगामे और नारेबाजी के बीच बुधवार को खत्म हो गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों दिन सदन में मौजूद नहीं रहे।
मालवीय नगर से विधायक सोमनाथ भारती ने वेमुला के लिए न्याय की मांग कर रहे विद्यार्थियों पर दिल्ली और अन्य जगहों पर पुलिस बलों के कथित बल प्रयोग मामले पर अल्पकालिक चर्चा शुरू की। मनीष सिसोदिया ने चेतावनी दी कि मोदी सरकार की पुलिस यदि देश की राजधानी में ऐसा व्यवहार करती है तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षा और राज्य के सामाजिक ताने-बाने को लेकर काफी संवेदनशील है और इन्हें छेड़ा गया तो सरकार चुप नहीं बैठेगी, हर मंच से आवाज उठाई जाएगी और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई भी की जाएगी।
लगभग दो घंटे चली चर्चा काफी हंगामेदार रही और सदन को एक बार स्थगित भी करना पड़ा। सोमनाथ भारती, राजेंद्र पाल गौतम और अलका लांबा के बाद जैसे ही नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने विषय पर बोलना शुरू किया कि सत्ता पक्ष के विधायकों ने उनके कुछ शब्दों पर कड़ी आपत्ति जताई और गुप्ता से माफी मांगने की मांग करते हुए वेल में आ गए। कुछ विधायकों ने विजेंद्र गुप्ता को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाने की मांग भी रखी। इसके बाद जब 15 मिनट के स्थगन के बाद सदन की कार्रवाई फिर शुरू हुई तो सत्ता पक्ष के लोगों ने वेल में आकर नरेंद्र मोदी और विजेंद्र गुप्ता को दलित विरोधी करार देते हुए जमकर नारेबाजी की। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नेता प्रतिपक्ष के ‘आपत्तिजनक शब्दों’ को कार्यवाही से बाहर निकालने और उपमुख्यमंत्री की अपील के बाद चर्चा फिर से शुरू हुई। वहीं राखी बिडलान द्वारा प्रधानमंत्री का नाम लिए जाने और पीएम मोदी के लिए ‘खूनी’ शब्द के प्रयोग पर विजेंद्र गुप्ता ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे अससंदीय बता कार्यवाही से निकालने की मांग की।
वेमुला की आत्महत्या को संस्थानिक हत्या करार देते हुए विधायक राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि हर साल देश के मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज में सैकड़ों दलित, पिछड़े छात्र आत्महत्या करने पर मजबूर होते हैं, दिल्ली सरकार अपने यहां के संस्थानों के अंदर इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के उपाय करे। अलका लांबा ने कहा कि रोहित वेमुला हो या नजीब अहमद का मामला, ये घटनाएं एक ऐसे सोच के तहत हो रही हैं कि अगर ‘उनकी’ विचारधारा को नहीं अपनाया गया तो उसे थोपा जाएगा या फिर कुचल दिया जाएगा। नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार को गरीबों के कल्याण की कोई चिंता नहीं है, बस वह केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करना चाहती है।
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