नरेंद्र भंडारी
दिल्ली में 67 विधायकों वाली करीब 140 दिन पुरानी आम आदमी पार्टी की सरकार को इन दिनों कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आप सरकार कभी अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार से तो अधिकारियों के तबादलों को लेकर उपराज्यपाल से और बजट को लेकर दिल्ली नगर निगम से, अधिकारियों की एसोसिएशन से अभी उलझी ही हुई थी कि उसके सामने उसके विधायकों पर तरह-तरह के लग रहे आरोपों से वह अपने जंजाल में फंस गई है। अब उसके सामने एक दूसरी सबसे बड़ी समस्या दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) की ओर से आगामी सोमवार से बिजली की दरें बढ़ाने का फैसला है। इन सब समस्याओं से घिरी दिल्ली की केजरीवाल सरकार की ओर से शुरू किए जा रहे विकास कार्यों पर भी करीब रोक-सी ही लग गई है।
आम आदमी पार्टी की ओर से चुनावों से पहले की गई घोषणाओं को लागू करवाने को लेकर बनाया गया दिल्ली डॉयलाग आयोग की ओर से दिल्ली के विकास को लेकर अधिकारियों के साथ चल रहीं बैठकों पर भी विराम लग गया है। सरकार के सामने अब चुनौतियों से निपटना उसकी पहली प्राथमिकता बन गई है। दिल्ली में केजरीवाल सरकार का मुख्य एजंडा राजधानी से भ्रष्टाचार को समाप्त करना, महिलाओं को सुरक्षा देना और दिल्लीवासियों को आधे दाम पर बिजली और मुफ्त पानी उपलब्ध करवाना था। उसके लिए केजरीवाल सरकार ने गद्दी संभालते ही बिजली-पानी को लेकर दो बड़ी घोषणाएं कर दीं। उसके बाद सरकार ने अपनी चुनावी घोषणाएं लागू करवाने के लिए दिल्ली डॉयलाग आयोग का गठन कर अपना ध्यान विकास कार्यो की ओर लगा दिया। दिल्ली सरकार की एक अहम प्राथमिकता दिल्ली में वाई फाई मुहैया करवाना था। उसे लेकर दिल्ली सचिवालय में लगातार बैठकों का दौर शुरू हो गया।
उसके बाद केजरीवाल सरकार का पूरा ध्यान दिल्ली से भ्रष्टाचार को दूर करना था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लगता है कि राजधानी में सभी समस्याओं की जड़ भ्रष्टाचार है। उनका मानना है कि यदि सभी विभागों से भ्रष्टाचार दूर हो गया तो दिल्ली की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगीं। इसी के मद्देनजर उन्होंने एक भव्य कार्यक्रम में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक हेल्पलाइन शुरू की। उन्होंने दिल्ली सरकार के अधीन भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में बड़े बदलाव करने का फैसला किया। बस यहीं से उनकी सरकार की टकराव की राजनीति शुरू हो गई।
केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा का बजट बढ़ा दिया और अपने चहेते अधिकारियों की इस विभाग में तैनाती की कवायद शुरू कर दी। वे यहां पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भ्रष्टाचार से लड़ने वाले संजीव चतुर्वेदी को इस विभाग का मुखिया बनाना चाहते थे, लेकिन केंद्र सरकार से अब तक इसकी अनुमति नहीं मिली है। उधर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने घोषणा कर दी कि वह भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में लंबित पुराने मामलों की भी जांच करवाएंगे। उसमें गैस घोटालों का भी जिक्र कर दिया, जिसमें देश के कई बड़े उद्योगपतियों के भी नाम हैं।
उधर दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने रिश्वतखोरी के आरोप में दिल्ली पुलिस के एक सिपाही को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली पुलिस पर जमकर जहर उगला। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली पुलिस पर अपना दबदबा बनाने के मकसद से कई नए कदम उठाने शुरू कर दिए। दिल्ली पुलिस में संयुक्त पुलिस आयुक्तों का तबादलों का दौर शुरू हो गया।
केजरीवाल चाहते थे कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों की फाइल उनके सामने से होकर जाए। लेकिन दिल्ली के गृह सचिव धर्मपाल ने ये फाइल सीधे उपराज्यपाल के पास भेज दी। उससे केजरीवाल आहत हो गए और उन्होंने घर्मपाल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। दिल्ली के मुख्य सचिव केके शर्मा छुट्टी पर गए तो उनके स्थान पर शकुंतला गैमलीन की नियुक्ति हुई तो उसका उन्होंने विरोध किया। इन सब मामलों में दिल्ली का वरिष्ठ अधिकारी वर्ग भी केजरीवाल सरकार के खिलाफ एकजुट होने लगा। केजरीवाल सरकार के सामने ये एक झटका था।
केजरीवाल सरकार को एक बड़ा झटका तब लगा, जब दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा का प्रमुख संयुक्त पुलिस आयुक्त मुकेश मीणा को बना दिया। ये अधिकारी वे हैं, जो जंतर-मंतर पर आप पार्टी की किसान रैली में खुदकशी करने वाले किसान गजेंद्र सिंह की मौत के मामले की जांच की है। केजरीवाल किसी भी हालत में नहीं चाहतें हैं कि ये अधिकारी इस पद पर रहें। अभी अधिकारियों के तबादलों पर विवाद थमा नहीं है कि दिल्ली सरकार के मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर फर्जी डिग्री विवाद में गिरफ्तार कर लिए गए। ये मामला अभी चल ही रहा था कि दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती की पत्नी अपने पति की शिकायत लेकर दिल्ली महिला आयोग के समक्ष पेश हो गईं। आयोग के समक्ष पहले से आप के नेता कुमार विश्वास के खिलाफ मामला लंबित है।