राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक बयान दिया है। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के “दुरुपयोग” को लेकर पीएम मोदी को लिखे पत्र पर सबसे पहले उन्होंने हस्ताक्षर किये थे।शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे को अपनी ओर करने के पीछे एनसीपी प्रमुख के दो उद्देश्य रहे हैं। पहला केंद्र के खिलाफ एक मजबूत धारणा बनाना और सभी समान विचारधारा वाली भाजपा विरोधी ताकतों को एक साझा मंच पर लाना। विपक्ष के खिलाफ केंद्र की कार्रवाई से हम नहीं दबेंगे।
पवार ने 5 मार्च को कहा, “महा विकास अघाड़ी सभी चुनाव एक साथ लड़ेगी”
ठाकरे को शिवसेना और उसके तीर-धनुष चुनाव निशान से चुनाव आयोग के वंचित करने के फैसले के बाद, उन्हें फोन करने और एकजुटता व्यक्त करने वाले पवार पहले व्यक्ति थे। पवार ने 5 मार्च को कहा, “महा विकास अघाड़ी सभी चुनाव एक साथ लड़ेगी।” मोदी को एक संयुक्त पत्र में पूरे भारत के कई राजनीतिक दल के नेताओं ने शिकायत की कि प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी केंद्रीय एजेंसियां भाजपा के विरोधियों को परेशान कर रही हैं।
पत्र में नेताओं ने कहा था- कार्रवाई से निरंकुशता की ओर बढ़ रहा देश
पवार और ठाकरे के अलावा, AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल, भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख के चंद्रशेखर राव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी, राजद नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए। नेताओं ने पत्र में कहा कि ऐसी कार्रवाई से लोकतंत्र से निरंकुशता की ओर देश जा रहा है।
हालांकि आप नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से गुस्सा बढ़ा होगा, लेकिन यह भी सच है कि शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी को पिछले तीन वर्षों में ज्यादातर केंद्रीय एजेंसियों का खामियाजा भुगतना पड़ा है। ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिराने वाले विभिन्न वजहों में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) नेताओं के खिलाफ सीबीआई जांच भी शामिल थी।
विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा, ‘ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग अपना काम कर रहे हैं। जब तक कुछ गलत नहीं होगा, ये जांच एजेंसियां कार्रवाई क्यों शुरू करेंगी?”