“मैं युवाओं के साथ सक्रिय तौर से जुड़ा हुआ नहीं हूं और न ही मैं भविष्यवक्ता हूं, लेकिन मैं हिंदू मेजॉरिटी स्टेट में भारत को तब्दील होते हुए देखकर बेहद चिंतित हूं। यह सिर्फ वैसा बदलाव नहीं है, जैसा हम सोचते हैं। यह मौजूदा समय की आर्थिक, सामाजिक चुनौतियों से ध्यान भटकाने वाला है। मोदी खुद को एक राजा के तौर पर देखते हैं। न केवल हिंदू माइंड वाले राजा के तौर पर… बल्कि पहले हिंदू राजा के तौर पर वह खुद देखते हैं। मोदी खुद को कुछ इस तरह देखते हैं मानो वह उन कार्यों को कर रहे हैं, जो शिवाजी और पृथ्वीराज चौहान भी नहीं कर सके और वो काम है- हिंदू राष्ट्र का निर्माण। यही मुझे डराता है, क्योंकि एक गणतंत्र के लिए यह बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है।” ये बातें इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज कार्यक्रम में कहीं। गुहा से प्रश्न पूछा गया था- संस्कृति के साथ आइकॉन को जोड़ना, इतिहास को दोबारा गढ़ना, पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों- जैसा कि हमने काशी विश्वनाथ में देखा… इन सब बातों का नेक्स्ट जेनरेशन पर आप क्या प्रभाव देखते हैं?
बीजेपी क्यों सुभाष चंद्र बोस को अपना रही है?
इस सवाल के जवाब में रामचंद्र गुहा ने कहा, “पहला कारण तो यह है कि बीजेपी के पास स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाला अपना कोई नेता नहीं है। और दूसरा कारण वो (बोस) नेहरू नहीं हैं। तीसरा- वो (बोस) बीजेपी के उस आइडिया के करीब नजर आते हैं जो थोड़ा उग्र यानी पौरुष/बहादुरी से जुड़ा नजर आता है। ये सब इसलिए हो रहा है, ताकि बेरोजगारी, महंगाई, वैश्विक स्तर पर गिरते भारत के स्टेटस, अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों से ध्यान हटाया जा सके। काफी हद तक संभव है कि संघ 15 अगस्त को अरबिंदो घोष को भी अपना ले, क्योंकि उस दिन उनकी जयंती पड़ती है।”
नेहरू-गांधी का सम्मान करते थे बोस
रामचंद्र गुहा ने सुभाष चंद्र बोस के बारे में आगे कहा, “नेताजी बड़े ही प्रभावशाली थे, लेकिन वह कॉम्प्लेक्स फिगर थे। जब उन्होंने INA (इंडियन नेशनल आर्मी) की कमान संभाली तो चार रेजीमेंट का गठन किया। इनमें एक नाम था- बोस रेजीमेंट और बाकी तीन का नाम रखा गया- गांधी, नेहरू और आजाद। उन्होंने अपने सहयोगियों (आजाद के लिए लड़ने वाले नेताओं) के प्रति सम्मान का भाव दर्शाया।”
हिंदू महासभा को नापसंद करते थे नेताजी
रामचंद्र गुहा ने कार्यक्रम में आगे बताया, “नेताजी पूर्ण रूप से हिंदू-मुस्लिम सद्भाव को पसंद करने वाले थे। वह हिंदू महासभा को नापसंद करते थे और निश्चित तौर पर RSS को भी नापसंद ही करते। 02 अक्टूबर 1943, जब गांधी जेल में थे तब बोस ने आजाद हिंद रेडियो पर एक बड़ा ही खूबसूरत संबोधन किया था। उस दिन गांधी जी का जन्मदिन भी था। बोस ने उन्हें अपने संबोधन में उन्हें फादर ऑफ द नेशन कहा था। यह पहली बार कहा गया था। उन्होंने बताया था कि कैसे गांधी न केवल उनके लिए प्रेरणा स्रोत बने बल्कि आजादी का पूरा आंदोलन ही उनसे प्रेरित था। मैं यह मानता हूं कि अगर गांधी की जगह बोस को रखा जाता तो गांधी भी इसके खिलाफ नहीं होते। दोनों के बीच परस्पर सम्मान का भाव था। INA के सैनिकों ने नोआखली में गांधी के साथ हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम किया था।”