दिल्ली मेरी दिल्ली- संघ की धाक
भाजपा के विधान में अध्यक्ष सर्वशक्तिमान होता है और उसे हर फैसला लेने की आजादी है।

भाजपा के विधान में अध्यक्ष सर्वशक्तिमान होता है और उसे हर फैसला लेने की आजादी है। भाजपा पर आरएसएस के बढ़ते प्रभाव के बाद संघ की ओर से एक संगठन महामंत्री बनाया गया, जो अध्यक्ष के अधिकार को संतुलित रखने का काम करता है। संघ के पदाधिकारी भी तय होने लगे जो आरएसएस की ओर से भाजपा का काम देखते हैं। दिल्ली में इससे भी दो कदम आगे बढ़कर कुछ किया गया। महीनों चर्चा का दौर चलने के बाद नवंबर में सतीश उपाध्याय को हटाकर भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया। लंबे इंतजार के बाद पिछले दिनों उनके टीम की भी घोषणा हुई, लेकिन यह घोषणा उनके दिल्ली में न रहने के दौरान की गई। इतना ही नहीं, टीम में चुने जाने वाले लोगों के नाम भी मनोज तिवारी को विश्वास में लिए बिना ही तय किए गए। नाम तय करने की प्रक्रिया में दिल्ली भाजपा के संगठन महामंत्री, प्रदेश भाजपा के प्रभारी, संघ के एक अधिकारी और उन सभी के प्रिय केंद्र सरकार के एक मंत्री हैं जिनकी आजकल पार्टी में पूछ बढ़ गई है। दिल्ली लौटने पर मनोज तिवारी की नाराजगी दूर करने के लिए उनसे तीन और पदाधिकारी बनवा लिए गए। दिल्ली में आजकल कई चीजें पहली बार हो रही हैं, उसका एक सबसे बड़ा नमूना ये है।
बेवजह की बैठक
पिछले दिनों दिल्ली विधानसभा का दो दिन का सत्र बुलाया गया। तकनीकी रूप से साल के शुरू में बुलाए जाने वाले सत्र की शुरुआत उपराज्यपाल के अभिभाषण से होती है। दिल्ली की आप सरकार ने शायद इसकी तैयारी नहीं की थी, इसलिए उसने दो दिन के इस सत्र को मानसून सत्र का ही विस्तार बताकर उपराज्यपाल का अभिभाषण नहीं करवाया। हालांकि इससे भी अहम सवाल यह है कि आखिर विधानसभा की बैठक क्यों बुलाई गई। बैठक में दोनों ही दिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नजर नहीं आए। सरकार के आधे से ज्यादा विधायकों के साथ केजरीवाल पंजाब और गोवा चुनाव में व्यस्त हैं। बैठक में न तो कोई बिल लाया गया और न ही प्रश्नकाल ठीक से चलाया गया। ऐसे में यह आम लोगों की समझ से परे ही था कि आखिर विधानसभा की बैठक क्यों बुलाई गई जिस पर बेवजह लाखों रुपए खर्च हुए।
स्वागत की मजबूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले जब विदेश यात्रा से लौटते थे तो दिल्ली भाजपा के कार्यकर्ता उनका स्वागत करने हवाई अड्डे तक जाते थे। लेकिन एक समय ऐसा भी आया, जब प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए लोगों की भीड़ जुटाने की कसरत तक करनी पड़ी। संयोग से नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री का विदेश जाना ही नहीं हुआ तो लोगों ने चैन की सांस ली, लेकिन अब तो दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ही पार्टी के चुनाव प्रचार जैसे कामों के लिए अक्सर दिल्ली से बाहर रहते हैं। उनकी दिल्ली वापसी पर भी भाजपा नेताओं को उनके स्वागत के लिए मजबूरन हवाई अड्डे जाना पड़ता है। ऐसे ही एक भाजपा नेता ने दर्द बयां करते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री पहले की तरह विदेश जाने लगें और प्रदेश अध्यक्ष के बाहर जाने की रफ्तार भी बढ़ जाए, तब तो दिल्ली भाजपा के नेताओं के लिए यह एक स्थाई काम बन कर रह जाएगा।
-बेदिल