राजस्थान में अगले साल चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले सभी दल मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं। ओवैसी की पार्टी भी राजस्थान में किस्मत आजमाने के मूड में है। बीजेपी विरोधी दलों को डर है कि राजस्थान में ओवैसी की एंट्री से उन्हें मुस्लिम इलाकों में बड़ा नुकसान हो सकता है। इन सभी अटकलों के बीच इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स (IMCR) ने रविवार को कहा कि सभी सेक्युलर लगों को एक साथ आना चाहिए। ICMR ने आगे कहा कि वह AIMIM की सियासत के तरीके से सहमत नहीं है। संगठन ने कांग्रेस पार्टी पर भी मुस्लिम मुद्दों पर चुप रहने का भी आरोप लगाया।
ICMR के राजस्थान चैप्टर ने बीते शनिवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें विभिन्न दलों और सिविल सोसायटी से जुड़े लोग शामिल हुए थे। इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, बीएसपी अध्यक्ष कुंवर दानिश अली, सीपीआई के राज्यसभा एमपी अजीज पाशा और आईआईटी के रिटायर्ड प्रोफेशर वीके त्रिपाठी शामिल हुए थे। पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब द्वारा 2022 में स्थापित ICMR ने धर्मनिरपेक्ष मुसलमानों और हिंदुओं से साम्प्रदायिकता के खिलाफ आगे आने का निवेदन किया।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में संगठन ने संस्थापन मोहम्मद अदीब ने कहा कि हमने खुद से यह पूछने के बाद ICMR की स्थापना की कि बुद्धिजीवी मुसलमान आगे क्यों नहीं आ रहे हैं। हमारा नेतृत्व फिलहाल कट्टरपंथियों के साथ है… भारत में नागरिक अधिकार गायब हो गए हैं। मोहम्मद अदीब 2008 से 2014 के बीच यूपी से निर्दलीय राज्यसभा सांसद रहे हैं। उन्हें कांग्रेस, सपा और रालोद ने समर्थन किया था।
उन्होंने कहा कि हम धर्मनिरपेक्ष हिंदुओं और मुसलमानों को एक साथ लाने की उम्मीद कर रहे हैं, ठीक उसी तरह जैसे मुस्लिम समुदाय ने खिलाफत आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी को सारी शक्ति दे दी थी। हम उन लोगों में से हैं जिन्होंने गांधी को अपनाया और जिन्ना को नकारा। लेकिन आज मुझे दुख इस बात का है कि जब उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या हुई तो सभी मुसलमानों ने उसकी निंदा की। लेकिन जब दो लोगों को ज़िंदा जला दिया गया (कथित रूप से गो रक्षकों द्वारा नासिर और जुनैद की हत्या), तो आरोपियों के समर्थन में पंचायतें की जा रही हैं। इस मंच (IMCR) का मूल उद्देश्य धर्मनिरपेक्ष लोगों का समर्थन करना है।
AIMIM और कांग्रेस की निंदा करते हुए अदीब ने कहा कि कांग्रेस मुसलमानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बोलने से डरती है। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि मुसलमानों को AIMIM के साथ नहीं जाना चाहिए। मुस्लिम भले ही ओवैसी के पक्ष में नारे लगा लें लेकिन उन्हें कुल वोट का सिर्फ दो फीसदी वोट मिलता है. लेकिन ओवैसी मतदाताओं का ध्रुवीकरण करते हैं और इसकी वजह से विपक्षी पार्टी को 15 से 20 फीसदी अधिक वोट मिलते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस भी अपनी विचारधारा से भटक गई है। उन्हें डर है कि वे हिंदू वोट खो देंगे।
ICMR के राजस्थान चैप्टर के चेयरमैन आजम बेग ने कहा कि हम इस बात पर सहमत होने के बाद ICMR में शामिल हुए कि हम कांग्रेस को मजबूत करें, साथ ही वह सेक्युलर सोच के साथ हमारे साथ आएं और मुस्लिम मुद्दों पर खुलकर बात करें। ऐसा नहीं होगा तो हम वर्तमान में कांग्रेस का साथ देने वाले 90 फीसदी मुसलमानों को अन्य दलों (AIMIM और AAP) के साथ जाने से नहीं रोक पाएंगे। यह हमारे लिए बड़ा नुकसान होगा।
आजम बेग अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। वह कांग्रेस अल्पसंख्यक डिपार्टमेंट के नेशनल को-ऑर्डिनेटर भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह यूपी के अल्पसंख्यक डिपार्टमेंट के इंचार्ज भी हैं।
मोहम्मद अदीब ने कहा कि IMCR मुसलमानों की रचना है, लेकिन यह सिर्फ अकेले मुसलमानों के लिए नहीं है। कोई भी व्यक्ति जो अपने नागरिक अधिकारों से वंचित है, हमसे जुड़ सकता है। हमने विभिन्न शहरों में सम्मेलन आयोजित किए हैं। हमने जाने-माने वकीलों को उन लोगों की मदद करने के लिए लगाया है, जिन्होंने अन्याय सहा है या उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो। हमने मीडिया के लिए एक मंच भी बनाया है।
राजस्थान चुनाव को लेकर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां हमारे पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं। हमारे प्रयास रहेगा कि हम कांग्रेस का समर्थन करें लेकिन उन्हें भी मुस्लिमों का समर्थन करना होगा। अगर वो हमारे साथ खड़े नहीं होंगे तो वे इसे देश को नुकसान पहुंचाएंगे।