मुंबई के आर्कबिशप और दो बिशप के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर के मामले में पुलिस ने शिकायकर्ता और दो गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। इन धर्मगुरुओं पर आरोप है कि 2015 में एक 13 साल के लड़के द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत करने के बावजूद ऐक्शन नहीं लिया। नाबालिग ने एक पादरी पर रेप का आरोप लगाया था। इस मामले में सेशन कोर्ट के आदेश के बाद बीते हफ्ते मुंबई पुलिस ने इन तीनों के खिलाफ ऐक्शन न लेने और पुलिस को जानकारी न देने का मामले में मुकदमा दर्ज किया था। शिवाजी नगर पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
पुलिस अपनी जांच के तहत एफआईआर में नामित आर्कबिशप और दो बिशप के बयान भी दर्ज करेगी। एक सीनियर अफसर ने बताया, ‘कोर्ट के आदेश के आधार पर, हम जांच में यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या 13 वर्षीय लड़के के 51 साल के पादरी द्वारा रेप की शिकायत करने पर आरोपियों की ओर से ऐक्शन लेने में कोताही बरती गई? जांच में जो बात सामने आएगी, हम उसके आधार पर चार्जशीट दाखिल करेंगे या केस बंद करेंगे।’
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस द्वारा शिकायतकर्ता और गवाहों से यह जानने की कोशिश की गई कि उन्होंने आर्कबिशप और दो बिशप से कब संपर्क किया? बता दें कि एक स्पेशल कोर्ट ने पिछले महीने पुलिस को उन आरोपों की जांच करने कहा था, जिनमें कहा गया था कि मुंबई के आर्कबिशप और दो अन्य बिशप एक नाबालिग की शिकायत पर कार्रवाई करने में नाकाम रहे। इस मामले में गिरफ्तार पादरी पर अप्राकृतिक यौनाचार की धारा सेक्शन 377 और पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया। लड़के के परिवार का कहना है कि उन्होंने नवंबर 2015 में आर्कबिशप और दो बिशपों को इस मामले की जानकारी दी थी। इस साल फरवरी में नाबालिग के पिता ने स्पेशल कोर्ट में अर्जी देकर मांग की थी कि तीनों धर्मगुरुओं को इस मामले में आरोपी के तौर पर शामिल किया जाए। आर्कडियोसिस ऑफ बॉम्बे के प्रवक्ता फादर निगेल बैरेट ने पुलिस की जांच का स्वागत करते हुए कहा कि इस मामले में छिपाने लायक कुछ नहीं है।
