Morbi News: मोरबी पुल हादसे में ओरेवा समूह के निदेशक जयसुख पटेल ने मंगलवार को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है। चार दिन पहले मोरबी पुलिस ने पटेल के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में जयसुख पटेल का नाम भी शामिल था। सरेंडर करने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
चार्जशीट में जयसुख पटेल को बनाया गया आरोपी
इस मामले में ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर जयसुख पटेल को आरोपी बनाया गया था। चार्जशीट में कहा गया था कि वह फरार हैं। पुल की मरम्मत की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के अजंता मैन्यूफैक्चरिंग लिमिटेड को दी गई थी। बता दें कि ब्रिटिश काल में बना यह सस्पेंशन ब्रिज 30 अक्टूबर को गिर गया था। इस हादसे में कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई थी।
पिछले साल दिवाली के बाद 30 अक्टूबर को यह हादसा हुआ था। पुल पर क्षमता से ज्यादा लोग पहुंच गए थे। 6 महीने से पुल की मरम्मत का काम चल रहा था, जिस कारण यह काफी समय से बंद था। दिवाली के बाद जब पुल को खोला गया तो काफी ज्यादा संख्या में लोग यहां पहुंच गए। इस दौरान यह भी सामने आया कि पुल को फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं दिया गया था और लोगों को पुल पर जाने की अनुमति दे दी गई।
1,262 पन्नों की चार्जशीट में 300 गवाहों के बयान
इस मामले में 1,262 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर जयसुख पटेल को आरोपी बनाया गया है। शुक्रवार को पीड़ितों की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता दिलीप आगेचनिया ने कहा कि आरोप पत्र में 9 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। एक सेशन कोर्ट पहले ही पटेल के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर चुकी थी।
मामले की जांच कर रहे पुलिस उपाधीक्षक पी एस जाला ने मोरबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान की अदालत में 1200 से ज्यादा पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था। चार्जशीट में 300 गवाहों के बयान हैं। हादसे के अगले दिन 31 अक्टूबर को मोरबी पुलिस ने ओरेवा ग्रुप के दो प्रबंधकों, दो टिकट लिपिकों समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया था। पटेल समेत सभी 10 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।