पिता कातिल, खुद आरोपी, विधानसभा में हाथ जोड़ सुरक्षा की गुहार लगाने लगा विधायक
अमनमणि विधानसभा अध्यक्ष के अनुमति नहीं देने पर सदन के वेल में पहुंच गए थे।

मौलश्री सेठ
पत्नी की हत्या के आरोपी उत्तर प्रदेश के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर दी। उन्होंने अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई है। विधायक ने कहा कि गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर उनकी जान के पीछे पड़े हैं। साथ ही उनके राजनीतिक करियर को तबाह करने की भी साजिश रची जा रही है। गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ है। अमनमणि द्वारा सदन में हिस्ट्रीशीटर और पूर्व विधायक का नाम बताने पर बसपा के सदस्य विरोध करने लगे थे।
नौतनवा से निर्दलीय विधायक अमनमणि के पिता और समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रह चुके अमरमणि त्रिपाठी व उनकी मां मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन करावास की सजा काट रहे हैं। अमनमणि को भी पत्नी सारा सिंह की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है। उनके खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल किया जा चुका है। दरअसल, अमनमणि ने सोमवार को सदन के अध्यक्ष हृदय नारायण दिक्षीत से बोलने की अनुमति मांगी थी। अध्यक्ष ने पूर्व में सूचना न देने का हवाला देकर इसकी मंजूरी देने से इंकार कर दिया। इस पर वह सदन के वेल में पहुंच गए और हाथ जोड़ कर बोलने की अनुमति मांगने लगे थे। सपा नेता आजम खान ने कहा कि यदि सदन के किसी सदस्य को जान का खतरा है तो ऐसे में उन्हें बोलने की अनुमित दी जानी चाहिए।
वेल में जाकर जान की सुरक्षा की गुहार लगाने के बाद अध्यक्ष ने उन्हें बोलने की अनुमति दे दी थी। अमनमणि ने आरोप लगाया कि गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर एकजुट होकर उनकी जान के पीछे पड़ गए हैं और मेरी छवि खराब करने की कोशिश में जुटे हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी की मौत हो गई और मुझ पर हत्या का मुकदमा चल रहा है। मेरे पिता और मां को साजिश के तहत जेल भिजवा दिया गया। अब वे मेरे पीछे पड़े हैं।’ संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश खन्ना ने अमनमणि को सुरक्षा मुहैया कराने का वादा किया।
विरोध में उतरे बसपा सदस्य: सदन के सदस्यों ने अमनमणि से उस हिस्ट्रीशीटर का नाम बताने को कहा। इस पर उन्होंने एक पूर्व विधायक का नाम लिया। इसके बाद बसपा विधायक विरोध करने लगे। सदन में पार्टी के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि जो व्यक्ति सदन में मौजूद नहीं है और कभी विस का सदस्य रहा है, ऐसे में उस पर आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए। बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी ने अध्यक्ष से अपने पिता का नाम सदन की कार्यवाही से हटाने का आग्रह किया।
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