बुलंदशहर में गोहत्या के बाद भड़की हिंसा और उस हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर और युवक की हत्या के बाद यूपी पुलिस गोहत्या को लेकर सावधान हो गई है। खबर आयी है कि मेरठ के एसएसपी ने जिले के सभी पुलिस थानों के इंचार्ज के साथ बैठक कर गोहत्या के खिलाफ कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिए हैं। एसएसपी ने पुलिस अधिकारियों को गोहत्या के आरोपी के परिवार के खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोहत्या या गो-तस्करों के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद ही मेरठ एसएसपी ने अपने मातहत अधिकारियों को इस मामले में कार्रवाई तेज करने को कहा है।
मेरठ के एसएसपी अखिलेश कुमार ने एक एंटी-मॉब लिंचिंग सेल का गठन भी किया है। इस एंटी मॉब लिंचिंग सेल का नेतृत्व एसपी (क्राइम) बीपी अशोक को सौंपा गया है। इस सेल में 2 डिप्टी एसपी, 3 इंस्पेक्टर और कॉन्सटेबल्स टीम का हिस्सा होंगे। एसएसपी ने भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखने की बात भी कही है, खासकर व्हाट्सएप पर। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भीड़ की हिंसा में व्हाट्सएप पर फैले संदेशों का अहम योगदान रहा है। पुलिस रिकॉर्ड्स पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के सत्ता में आने के बाद से मेरठ में गो-तस्करी के आरोप में 531 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। वहीं एक व्यक्ति इरशाद (22 वर्ष) की गो-तस्करी के दौरान हुए पुलिस एनकाउंटर में मौत हुई है।
इसके अलावा 63 से ज्यादा एफआईआर में 661 लोगों को नामजद किया गया है, जिनमें से 130 लोग अभी भी फरार बताए जा रहे हैं। एसएसपी अखिलेश कुमार ने गुरुवार को मीटिंग के दौरान कहा कि “जो लोग फरार हैं, वो 23 दिसंबर तक जेल भेजे जाएं। साथ ही जो लोग गोहत्या और गो-तस्करी के दोषी पाए जाएं, उनके खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट, उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट, एंटी-सोशल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट, 1986 और उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ गुंडा एक्ट, 1970 के तहत कार्रवाई की जाए।” एसएसपी ने साथ ही जोड़ा कि जो लोग गोहत्या और गोतस्करी के आरोपी हैं, उनके परिवार की महिलाओं को भी इसके बारे में जानकारी होती है। ऐसे में वो भी अपराधी हैं, इसलिए उन्हें भी जेल भेजा जाना चाहिए।