Manish Sisodia : दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई से इंकार करते हुए मनीष सिसोदिया को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है।
मामले पर सुनवाई करते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि मनीष सिसोदिया के पास हाईकोर्ट जाने का वैकल्पिक उपाय उपलब्ध हैं। बेंच ने कहा कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख हाईकोर्ट जाना चाहिए।
बता दें कि मनीष सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी और सीबीआई जांच को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी। मनीष सिसोदिया की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब दिल्ली सरकार को अगले महीने वार्षिक बजट पेश करना है। मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में वित्त मंत्री हैं। सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी के दौरान भी मनीष सिसोदिया के वकीलों ने बजट पेश करने की बात कही थी। हालांकि उन्हें पांच दिन की रिमांड पर भेज दिया गया था।
आप सूत्रों ने कहा कि राज्य का वार्षिक बजट पेश करने की जिम्मेदारी परिवहन और राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत पर आ सकती है।
सोमवार को क्या हुआ ?
मनीष सिसोदिया को गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट के सामने पेश किया। सोमवार की सुबह से इस मामले को लेकर काफी गहमा-गहमी महसूस की जा रही थी। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में उपमुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे वहीं दिल्ली में कई कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस ने डिटेन भी कर लिया था।
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तकरीबन 3 बजे मनीष सिससोदिया को कोर्ट में पेश किया गया। सीबीआई ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता को विशेष अदालत में पेश किया था और उन्हें पांच दिन के लिए उसकी हिरासत में सौंपने का अनुरोध किया था। इसके बाद विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने सिसोदिया को चार मार्च तक के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था।
न्यायाधीश ने कहा था कि हालांकि आरोपी इस मामले में पहले दो मौकों पर जांच में शामिल हुए हैं, लेकिन यह भी देखा गया है कि वह जांच एवं पूछताछ के दौरान किए गए अधिकतर प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए. उन्होंने कहा कि सिसोदिया अब तक की गई जांच के दौरान कथित रूप से उनके खिलाफ पाए गए आपत्तिजनक सबूतों के संबंध में उचित स्पष्टीकरण देने में विफल रहे हैं।