चार गुना रिटर्न का लालच देकर एसीपी, डीसीपी समेत 200 से ज्यादा पुलिसवालों को लगाया करोड़ों का चूना
वनराई पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक विश्वास हनन, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के लिए मामला दर्ज किया गया है।

महाराष्ट्र में ठगों के बिछाए जाल में एक, दो नहीं, 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी फंस गए। इनमें असिस्टेंट कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर जैसे बड़े अफसरों का नाम भी शामिल हैं। ठग मोहन कुमार श्रीवास्तव और उसके साथियों ने 400 प्रतिशन रिटर्न्स का लालच देकर 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को करोड़ों का चूना लगाया। पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक एसीपी ने फ्रीप्रेसजर्नल को बताया, ”मुझे मोहन कुमार श्रीवास्तव ने 2.5 करोड़ का चूना लगाया है। हालांकि कोई भी पुलिसकर्मी प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने आगे नहीं आया क्योंकि हमें डर है कि हमारी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। हम पहले ही बहुत सारा पैसा गंवा चुके हैं।” एक वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा, ”मुझे करीब एक करोड़ रुपए का चूना लगा है। मोहन कुमार श्रीवास्तव और धर्मेन्द्र निकुम्भ का गुर्गा रवि यादव हमें पैसा निवेश करने के लिए एग्रीमेंट्स साइन करने को धमकाता था।” शिकायर्ताओं में से एक डाॅ प्रशांत भामरे ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र में कहा है, ”आरोपी धर्मेन्द्र निकुम्भ ने हमें बताया कि वह श्रीवास्तव के फैमिली बिजनेस का एक पार्टनर है और वह उनकी बातचीत और ऑफिस का काम देखता है, जिसकी पुष्टि आरोपी के परिवार ने भी की थी। निकुम्भ हमें बताता था कि वह अपने भाई नितिन निकुम्भ, जो कि एक पुलिस अधिकारी है, के साथ मिलकर 200 पुलिस अफसरों से ज्यादा के निवेश देखता है और वक्त पर रिटर्न्स देता है। धर्मेन्द्र ने हमें बार-बार भरोसा दिलाया कि हमारा निवेश सुरक्षित रहेगा और तय वक्त पर रिटर्न्स मिलेंगे, अगर हम आरोपी की कंपनियों से जुड़े रहेंगे। हमारा भरोसा जीतने के बाद, हमारे निवेश का पैसा धर्मेन्द्र को दिया गया और बदले में हमने धर्मेन्द्र से कुछ रिटर्न लिया है।”
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इससे पहले मोहन प्रसाद को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वास हनन) और धारा 34 (आम इरादा) तथा महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स एक्ट, 1999 के सेक्शन 3 के तहत अपराध के आरोपों से मुक्त किया गया था।
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आराेपी कार्तिक मोहन श्रीवास्तव, विभा प्रसाद श्रीवास्तव, अर्चिता मोहन प्रसाद श्रीवास्तव, मोहन प्रसाद श्रीवास्तव, प्रीति कार्तिक श्रीवास्तव और धर्मेन्द्र निकुम्भ के खिलाफ वनराई पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक विश्वास हनन, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के लिए मामला दर्ज किया गया है।