कहते हैं कि हौसला बुलंद हो तो अंगारे भी फूल बन जाते हैं। कुछ ऐसा ही हौसला मुंबई के 1356 लोगों ने दिखाया और दहकते अंगारों पर चल कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। मुंबई की एक ज्वैलरी फर्म के कर्मियों ने मुंबई के निकट इमेजिका थीम पार्क में यह कारनामा कर दहकते अंगारों पर चलने का 608 लोगों का मौजूदा रिकॉर्ड कहीं पीछे छोड़ दिया। यह प्रयास गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की तरफ से मौजूद निर्णायक रिषि नाथ के सामने किया गया जिन्होंने इस नये रिकॉर्ड को प्रमाणित भी किया। दहकते अंगारों पर चलने के इस अनूठे कारनामे को अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रमाणित छह निर्देशकों ने उसके अंजाम तक पहुंचाया। अंगारों पर चलने के लिये अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त आशीष अरोड़ा, लीना दास, उन्नीकृष्णन केबी, जोसफ पालसन, राजेश राय और योगीश अरोड़ा के मार्गदर्शन में 1356 लोगों ने इस कारनामे को अंजाम दिया। इन प्रशिक्षकों ने खुद भी अंगारों पर चलकर लोगों का हौसला बढ़ाया।
प्रशिक्षक राजेश राय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस रिकॉर्ड के लिए 6.6 फुट की अंगारों की खाई बनाई गयी जिस पर प्रतिभागियों ने नंगे पांव चलकर इस कारनामे को अंजाम दिया। सभी प्रतिभागियों ने पांच या छह कदम चलकर इस खाई को पार किया। राय ने इस साहसिक कारनामे पर कहा, ‘अंगारों पर चलने का मकसद अपने जीवन के डर पर विजय पाना है। अंगारों पर चलना प्रेरणा का काम करता है जिससे आप अपने अंदर छिपे डर पर विजय पाते हैं, खुद पर भरोसा करते हैं और मानसिक रूप से मजबूत बनते हैं। इससे आपके अंदर यह भावना आती है कि मैं यह कर सकता हूं।’
अंगारों पर चलने के अपने अनुभव पर 23 साल की प्रतिभागी सुयाशा तामोर ने कहा, ‘यह बहुत रोमांचक था। मैं नहीं जानती थी कि मेरे अंदर कितने डर छिपे हुए हैं। हमें बचपन से सिखाया जाता था कि आग से दूर रहो और यह डर हमेशा हमारे जीवन के साथ बना रहता था। मैं शुरुआत में हिचकिचा रही थी लेकिन जैसे ही मैंने आग की खाई को पार किया मेरे अंदर छिपे तमाम डर निकल गये और मैं खुद को विजेता महसूस कर रही हूं।’ इस प्रयास को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह देते हुये गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के निर्णायक ऋषि नाथ ने कहा, ‘हमें यह घोषणा करते हुये बहुत खुशी हो रही है कि एक जगह पर सर्वाधिक लोगों ने लगातार अंगारों पर चलने का नया गिनीज रिकॉर्ड स्थापित कर दिया है। प्रतिभागियों का साहस और जोश देखना और दर्शकों का उनका उत्साहवर्धन करना निश्चित रूप से रोमांचक था।’