महाराष्ट्र में सियासी ड्रामे के बीच शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे गुट ने महा विकास आघाड़ी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उनके समर्थक 38 विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई है। वहीं शिवसेना के नवनियुक्त विधायक दल के नेता अजय चौधरी पहली बार विधान भवन पहुंचे हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं और वर्तमान में एक सीट खाली है। इससे विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 144 होता है। महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल शिवसेना के पास 56 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 44 और एनसीपी के पास 53 विधायक हैं। वहीं विधानसभा में बीजेपी के अकेले 106 विधायक हैं। जबकि कई निर्दलीय विधायक भी भाजपा के पक्ष में है।
अगर शिवसेना से 38 विधायकों का समर्थन हटता है तो सरकार निश्चित तौर पर अल्पमत में आ जाएगी, क्योंकि फिर एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के कुल 115 विधायक ही होंगे। जबकि बहुमत के लिए आंकड़ा 144 का चाहिए। वहीं अगर यह विधायक बीजेपी के साथ जाते हैं तो बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा हो जाएगा क्योंकि बीजेपी के पास निर्दलीय विधायक भी हैं।
सियासी संकट के बीच शिवसेना के नवनियुक्त विधायक दल के नेता अजय चौधरी पहली बार विधान भवन पहुंचे हैं। शिवसेना ने एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को विधायक दल का नेता नियुक्त किया है और शिंदे इस नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे हैं, जहां सुनवाई होगी। वहीं एकनाथ शिंदे के समर्थक ठाणे में उनके आवास के बाहर इकट्ठा हो गए हैं और नारेबाजी कर रहे हैं। भारी संख्या में पुलिस की तैनाती भी की गई है।
21 जून को एनसीपी से ताल्लुक रखने वाले डिप्टी स्पीकर ज़ीरवाल ने अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता दी और एकनाथ शिंदे के पद के दावे को खारिज कर दिया। शिंदे इसी फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। 25 जून को उन 16 बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस दिया गया था, जिनके बारे में शिवसेना ने दावा किया था कि वे उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई पार्टी की बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 का हवाला देते हुए याचिका में दावा किया गया कि चौधरी की नियुक्ति “अवैध” और “असंवैधानिक” है। शिंदे ने कहा है कि अजय चौधरी की शिवसेना विधायक दल (एसएसएलपी) के नेता के रूप में नियुक्ति विधायक के “अल्पसंख्यक गुट” द्वारा की गई थी और उसी की डिप्टी स्पीकर ज़ीरवाल द्वारा पुष्टि नहीं की जा सकती है।