महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और राज्यसभा के सदस्य संजय राउत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव राज्यसभा भेजा गया। शनिवार (25 मार्च) को महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे ने विशेषाधिकार हनन नोटिस पर संजय राउत के जवाब को असंतोषजनक करार दिया। इसके बाद इसे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पास भेज दिया।
संजय राउत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस
दरअसल, विधानमंडल को ‘चोर मंडल’ कहने के लिए संजय राउत के खिलाफ पिछले महीने विशेषाधिकार हनन नोटिस जारी किया गया था। महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि विशेषाधिकार हनन नोटिस पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत का जवाब असंतोषजनक है। इसके बाद यह मामला उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पास भेज दिया गया।
संजय राउत का स्पष्टीकरण असंतोषजनक
उपसभापति नीलम गोरहे ने विधान परिषद में कहा कि संजय राउत ने अपने जवाब में सदन की विशेषाधिकार समिति के गठन, इसकी निष्पक्षता और कामकाज पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य होने के नाते उनसे यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह (संजय राउत) विशेषाधिकार समिति के कामकाज पर सवाल उठाएं इसलिए मैं उनके जवाब से पूरी तरह सहमत नहीं हूं और मुझे यह संतोषजनक नहीं लगा। इसी कारण मैं विशेषाधिकार हनन नोटिस को उचित कार्रवाई के लिए राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति को भेज रही हूं।’’
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधानसभा में कहा कि विशेषाधिकार नोटिस पर संजय राउत का स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि उनके बयान से विशेषाधिकार का हनन हुआ है लेकिन नियम के अनुसार इसे राज्यसभा सचिवालय को भेजा गया है क्योंकि राउत राज्यसभा के सदस्य हैं।” नार्वेकर ने यह भी कहा कि राज्य विधानमंडल और विधानमंडल परिसर में सदस्यों के आचरण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) दो हफ्ते में तैयार हो जाएगी।
वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने विशेषाधिकार हनन को लेकर फैसला लेने के लिए नियुक्त की गई समिति पर आपत्ति जताई थी। राउत ने कहा था कि उन्होंने जिनके खिलाफ बयान दिया है वही लोग इस समिति के सदस्य हैं और जानबूझकर उनके विरोधियों को इस समिति का सदस्य बनाया है