महाराष्ट्र से Iram Siddique , Mohamed Thaver , Sagar Rajput की रिपोर्टः
देश में कोरोनावायरस के बाद लगे लॉकडाउन से सबसे ज्यादा नुकसान प्रवासी मजदूरों को हुआ है। अब तक लाखों की संख्या में श्रमिक रोजगार गंवाने के बाद गृह राज्यों की तरफ लौट चुके हैं। अकेले महाराष्ट्र से ही 25 मार्च के बाद से अब तक 24 लाख प्रवासी मजदूर अपने गृह-राज्य जा चुके हैं। इनमें से 75 फीसदी श्रमिक मुंबई और मुंबई मेट्रोपोलिटन क्षेत्र से लौटे हैं। गौरतलब है कि 1 मई से इन्हें वापस भेजने के लिए 781 श्रमिक ट्रेनें लगाई जा चुकी हैं। करीब 11.24 लाख लोग इन ट्रेनों से घर पहुंचाए गए हैं। हालांकि, इसके बावजूद रेलवे स्टेशनों पर बड़ी संख्या में लोगों को जमावड़ा लगा है। इन स्थितियों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने रेल मंत्रालय से 30 और ट्रेनें मांगी हैं।
बता दें कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के अलावा भी करीब 5 लाख लोग राज्य की बसों से घरों को रवाना किए जा चुके हैं। इसके अलावा 8.5 लाख लोग निजी वाहनों से भी राज्य के अंदर या बाहर आवाजाही कर चुके हैं। अफसरों के मुताबिक, यह आंकड़े लोगों को जारी परमिट के जरिए जुटाए गए हैं। हालांकि, इनमें वे लोग शामिल नहीं हैं, जो पैदल या ऑटो-टैक्सी या ट्रकों में भर कर राज्य से निकल गए। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे महाराष्ट्र छोड़ने वालों की संख्या 15 लाख से ज्यादा हो सकती है।
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इस बीच महाराष्ट्र में पहली बार रिवर्स माइग्रेशन (लोगों के वापस लौटने) के केसों में कमी आई है। 27 मई के बाद से ही राज्य छोड़कर जाने के आवेदन कम हुए हैं। इसके अलावा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की जरूरत भी कम ही पड़ी है। शनिवार को महाराष्ट्र से प्रवासियों को लेकर 20 ट्रेन रवाना हुईं। इससे पहले शुक्रवार को 30 ट्रेनें गई थीं। रविवार को भी 12 ट्रेनों के ही जाने का अनुमान है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, राज्य में अभी 30 हजार कामगारों का घर पहुंचाया जाना बाकी है और उन्हें अगले एक हफ्ते में 20 श्रमिक ट्रेनों के जरिए भेज दिया जाएगा।