Maharashtra News: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता नारायण राणे को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ 2021 में की गई उनकी (नारायण राणे) विवादित टिप्पणी से संबंधित एक मामले में आरोपमुक्त कर दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (रायगढ़-अलीबाग) एस ब्ल्यू उगाले ने शनिवार (1 मार्च, 2023) को राणे को बरी कर दिया।
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के खिलाफ 2021 में रायगढ़ के महाड में भारतीय दंड संहिता की धारा 189 (लोक सेवक को चोट पहुंचाने का खतरा), 504 (सार्वजनिक शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान) और 505 (सार्वजनिक शरारत के अनुकूल बयान) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उन्हें उनकी टिप्पणी के लिए रत्नागिरी जिले से गिरफ्तार किया गया था। राणे पर उनके विवादित बयान के चलते पूरे महाराष्ट्र में चार प्राथमिकी दर्ज हैं।
उद्धव ठाकरे को लेकर क्या कहा था नारायण राणे ने-
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कहा था, ‘यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) को आजादी का साल नहीं पता है। वह अपने भाषण के दौरान यह पूछने के लिए पीछे मुड़ गए कि आजादी को कितने साल हो गए हैं। अगर मैं वहां होता, तो मैं होता (उसे) एक जोरदार तमाचा जड़ देता” उन्होंने दावा किया था कि ठाकरे 15 अगस्त को राज्य के लोगों को अपने संबोधन के दौरान आजादी का साल भूल गए थे। राणे ने ठाकरे के खिलाफ अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा था कि टिप्पणी करके उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है। उद्धव ठाकरे नवंबर 2019 से जून 2022 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे।
नारायण राणे के वकील सतीश मानेशिंदे ने कोर्ट में दिया तर्क-
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के वकील सतीश मानेशिंदे ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘राणे ने कथित तौर पर (तत्कालीन) मुख्यमंत्री के आचरण पर एक बयान दिया। उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा, जाति या समुदाय या किसी भी आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दे रहा हो।’
इसके अलावा राणे के वकील ने तर्क दिया कि कथित बयान से धार्मिक, नस्लीय, भाषा या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच किसी भी तरह के वैमनस्य या शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावना पैदा होने की संभावना नहीं थी। मानशिंदे ने कहा कि यह मामला राजनीति से प्रेरित था।