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मध्‍य प्रदेश: 400 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा करने का प्‍लान, एक हजार करोड़ रुपए बचने का अनुमान 

सूर्य शक्‍त‍ि अभ‍ियान के जर‍िए पंचायतों को ब‍िजली के क्षेत्र में आत्‍मन‍िर्भर करने के ल‍िए जनवरी तक सोलर प्‍लांट्स लगाने की है योजना।

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मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह। (फोटो- इंडियन एक्सप्रेस फाइल)

मध्य प्रदेश में पंचायतों का ब‍िजली ब‍िल खर्च कम करने के ल‍िए सौर ऊर्जा पर जोर द‍िया जा रहा है। मकसद है क‍ि ब‍िजली ब‍िल का खर्च हटा कर इस रकम को व‍िकास कार्यों में लगाया जाए। इसके ल‍िए मध्य प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग ने सूर्य शक्ति अभियान शुरू किया है। 

सूर्य शक्‍त‍ि अभ‍ियान के अंतर्गत सभी जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायतें अपनी जरूरत की बिजली पैदा करने के लिए भवनों की छतों पर सोलर पैनल लगायेंगी। इसके माध्यम से करीब 400 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसा अभियान शुरू करने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य बताया जा रहा है।

मध्य प्रदेश में पंचायतों के ब‍िजली ब‍िल का खर्च 450 करोड़ रुपए है। ग्रामीण विकास विभाग का आंकलन है कि कुछ ही साल में यह रकम 2000 करोड़ रुपए तक जा सकती है। अनुमान है क‍ि सूर्य शक्ति अभियान की बदौलत करीब 1000 करोड़ रुपये की बचत की जा सकेगी। 
अभियान के तहत उत्‍पाद‍ित सौर ब‍िजली का उपयोग गांव की स्ट्रीट लाइटें, नल-जल प्रदाय, कार्यालयों में उपयोग के साथ-साथ अन्य कामों में क‍िया जा सकेगा।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव का कहना है क‍ि राज्‍य के नरसिंहपुर, खरगोन और खंडवा जिले के एक-एक विकास खण्ड में प्रारंभिक अध्ययन कराया गया, पंचायतों का ऊर्जा ऑडिट भी कराया गया जिसके आधार पर सूर्य शक्‍त‍ि अभियान की डीपीआर बनाई गई है। 26 जनवरी, 2023 तक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थाप‍ित क‍िए जाने का लक्ष्‍य रखा गया है। ऐसी पंचायतें जो अपनी विद्युत खपत के अनुरूप सौर ऊर्जा उत्पादन करने में सक्षम हो जायेंगी उन्हें सौर समृद्ध ग्राम पंचायत घोषित करते हुए पुरस्कृत भी किया जायेगा।पहले चरण में 5 हजार से अधिक जनसंख्या वाली 714 ग्राम पंचायत और हाट बाजार वाले सभी गांव तथा सभी जिला एवं जनपद पंचायत कार्यालयों को सूर्य शक्ति अभियान में शामिल किया जा रहा है।

पंचायतों को इस योजना से अतिरिक्त आमदनी होगी

नरसिंहपुर जिले के जिला पंचायत सीईओ सौरभ संजय सोनवाने का कहना है क‍ि जो राशि विकास कार्यों में खर्च की जानी चाहिए वह बिलों के भुगतान में जाती है। इसल‍िए इस योजना के माध्‍यम से पंचायतों के विकास कार्यों के लिए बड़ी राशि की बचत होगी। इस अभियान के माध्यम से जो परंपरागत ऊर्जा के खपत में कमी आयेगी उसके आधार पर कार्बन क्रेडिट भी प्राप्त करने की योजना है। पंचायतों को इससे अतिरिक्त आमदनी होगी। 

नवकरणीय ऊर्जा सलाहकार और लेटेंट रिन्यूवल एनर्जी सर्विसेज के निदेशक मृदुल खरे का कहना है कि पंचायतों के लिए यह मॉडल बहुत ही उपयोगी होगा। 

राज्‍य सरकार इस योजना को पंचायतों को आत्‍मन‍िर्भर बनाने के ल‍िहाज से भी मददगार मान रही है। ग्रामीण विकास विभाग पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पुष्कर समृद्धि अभियान भी चला रही है। इसके अंतर्गत गांव के 50,000 तालाबों का जीर्णोद्धार करके पंचायतें उनका व्यावसायिक उपयोग कर रही हैं।

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First published on: 25-10-2022 at 19:26 IST
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