लखनऊ: सरकार के खिलाफ पोस्ट लिखीं तो अवार्ड लिस्ट से हटाया नाम, प्रोफेसर का आरोप
दिल्ली स्थित एक एनजीओ ह्युमन एंड एनीमल क्राइम कंट्रोल एसोसिएशन के एमडी शैलेन्द्र सिंह ने प्रोफेसर रविकांत की फेसबुक पोस्ट के प्रति शिकायत दर्ज करायी थी। जिसके बाद यह फैसला लिया गया।

उत्तर प्रदेश की लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने आरोप लगाया है कि उनका नाम सरकार द्वारा दिए जाने वाले एक प्रतिष्ठित अवॉर्ड के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ फेसबुक पोस्ट लिखने के कारण उनका नाम इस लिस्ट से हटा दिया गया है। प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि बीती 26 फरवरी को उन्हें स्टेट एम्पलोयी लिटरेरी एसोसिएशन की तरफ से एक फोन कॉल आया था। इसमें बताया गया था कि उनका नाम रमन लाल अग्रवार पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट कर लिया गया है। इस पुरस्कार के तहत विजेता को 11000 रुपए का इनाम मिलना था।
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि बीती 6 मार्च को उन्हें एसोसिएशन के महासचिव दिनेश चंद्र अवस्थी का फोन आया। इस दौरान उन्होंने बताया कि मेरी एक फेसबुक पोस्ट की वजह से मेरा नाम अवॉर्ड विजेताओं की लिस्ट से हटा दिया गया है। यह पुरस्कार आगामी 17 मार्च को एक कार्यक्रम में दिए जाने हैं। रविकांत ने बताया कि अब उनकी जगह किसी और को यह पुरस्कार दिया जाएगा। दिल्ली स्थित एक एनजीओ ह्युमन एंड एनीमल क्राइम कंट्रोल एसोसिएशन के एमडी शैलेन्द्र सिंह ने प्रोफेसर रविकांत की फेसबुक पोस्ट के प्रति शिकायत दर्ज करायी थी। जिसके बाद यह फैसला लिया गया।
वहीं जब इस मुद्दे पर स्टेट एम्पलोयी लिटरेरी एसोसिएशन के महासचिव दिनेश चंद्र अवस्थी से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। अब इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरु हो गई है। दरअसल शनिवार की शाम सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रोफेसर रविकांत के समर्थन में एक ट्वीट किया और लिखा कि ‘भाजपा दलितों का लगातार शोषण कर रही है। आज लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत का नाम सरकार द्वारा दिए जाने वाले अवॉर्ड की लिस्ट से इसलिए हटा दिया गया क्योंकि उन्होंने भाजपा के विरुद्ध अपने विचार प्रकट किए थे। यह उनके कथित राष्ट्रवाद का असली चेहरा है।’