Joshimath Landslide News: उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने से 561 घरों में दरारें आ चुकी हैं। इसको लेकर स्थानीय लोगों में भय बना हुआ है। इस बीच राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार (Pushkar Singh Dhami government) ने डेंजर जोन में प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का निर्देश दिया है। वहीं जमीन धंसने को लेकर लोगों के बीच सवाल यह भी है कि आखिर जोशीमठ की नींव कमजोर होने के क्या कारण हो सकते हैं।
बता दें कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (Wadia Institute of Himalayan Geology) के निदेशक कलाचंद सेन (Kalachand Sain) ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए शुक्रवार (6 जनवरी) को तीन अहम वजहें बताईं, जिससे जोशीमठ के नींव के कमजोर होने के मामले को समझा जा सकता है। कलाचंद सेन ने कहा कि जोशीमठ के धंसने का कारण मनुष्य के और प्राकृतिक तरीके से सामने आए कारण हो सकते हैं।
कौन से तीन कारक:
सेन ने कहा कि इसके कारक अभी के उत्पन्न नहीं हुए हैं बल्कि ऐसा होने में बहुत लंबा समय लगा है। सेन ने कहा, “पहला कारक तो यह कि जोशीमठ एक सदी से भी पहले भूकंप से हुए भूस्खलन के मलबे पर विकसित किया गया था, दूसरा यह कि जोशीमठ भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-5’ में आता है और तीसरा यह कि यहां होने वाला पानी का लगातार बहाव से चट्टानों को कमजोर बनाता है।
उन्होंने कहा, “1886 में एटकिन्स ने सबसे पहले ‘हिमालयन गजेटियर’ में लैंडस्लाइड से आए मलबे पर जोशीमठ की स्थिति के बारे में लिखा था। यहां तक कि 1976 में मिश्रा समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में एक पुराने ‘सबसिडेंस जोन’ पर इसके स्थान के बारे में लिखा था।” कलाचंद सेन ने कहा कि हिमालयी नदियों के नीचे जाने और पिछले साल ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में आई अचानक बाढ़ के अलावा अधिक बारिश की वजह से भी स्थिति और खराब हुई होगी।
उन्होंने कहा कि चूंकि जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और औली का प्रवेश द्वार है, इसको देखते हुए यहां लंबे समय से निर्माण की गतिविधियां चल रही हैं। इस दौरान इसका भी ख्याल नहीं रखा गया कि यह शहर के दबाव का सामना करने में सक्षम है भी या नहीं। उन्होंने कहा कि संभव है कि निर्माण गतिविधियों से भी जोशीमठ के घरों में दरारें आई हों। उन्होंने कहा, “जोशीमठ में हर जगह होटल और रेस्तरां बनाये जा रहे हैं। क्षेत्र में आबादी का दबाव और पर्यटकों की भीड़ भी बढ़ रही है।”