केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनारई विजयन के बीच चल रही तकरार रुकने का नाम नहीं ले रही है। अब आरिफ मोहम्मद खान ने उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को खुली बहस की चुनौती दी है। दरअसल राज्यपाल के फैसले को लेकर सीपीआईएम के नेता 15 नवंबर को राजभवन तक मार्च करने वाले थे, लेकिन आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अभी मार्च न करें।
आरिफ मोहम्मद खान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं खुली बहस में आऊंगा। उन्होंने कहा, “15 नवंबर को सीपीआईएम मार्च न करे। मार्च उस दिन आयोजित करें जब मैं राजभवन में रहूं। Lमैं वहाँ आता हूँ और चलो एक सार्वजनिक बहस करते हैं। कुलपतियों को अपना कर्तव्य निभाने से रोका जा रहा है,l। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पैदा किए जा रहे हैं और मुझे ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की धमकी दी जा रही है।”
बता दें कि सीपीआईएम के राज्य सचिव एमवी गोविंदन मास्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि सीपीआईएम सहित लेफ्ट पार्टियां मार्च करेंगी। उन्होंने कहा था, “सीपीआईएम अन्य वाम दलों, डीएमके नेता के सहयोगियों के साथ बड़े पैमाने पर राजभवन मार्च का आयोजन करेगा। सांसद तिरुचि शिवा विरोध में हिस्सा लेंगे। राज्यपाल को लंबे समय तक विधेयकों को रखने की अनुमति नहीं है। हम इस अनिश्चितता से लड़ने के लिए किसी भी हद तक आगे बढ़ेंगे।”
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केरल की पिनारई विजयन सरकार संवैधानिक विशेषज्ञों और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों से कानूनी परामर्श ले रही है। राज्यपाल के खिलाफ संभावित कानूनी विकल्पों पर संवैधानिक विशेषज्ञ फली एस नरीमन और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता से सलाह मांगी गई है।
बता दें कि मोहम्मद आरिफ मोहम्मद खान ने अक्टूबर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उन्हें महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री पिनारई विजयन की विदेश यात्रा के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी। पत्र में आरिफ मोहम्मद खान ने लिखा था कि उन्हें इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है कि विजयन की अनुपस्थिति के दौरान सरकार के प्रबंधन का काम किसे सौंपा गया था।