कर्नाटक के 2023 में होने वाले असेंबली चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी यूपी की तरह से रणनीति बना रही है। जैसे वहां बीजेपी ने यादवों को छोड़ दूसरे ओबीसी वोटरों को अपने पाले में खींचा वैसे ही कर्नाटक में भगवा दल कुरबा समाज को छोड़कर बाकी ओबीसी वोटरों को अपनी तरफ लाने की कोशिश में है।
हालांकि कुरबा समुदाय की आबादी तकरीबन 8 फीसदी है लेकिन बीजेपी को पता है कि ये लोग उसके पाले में नहीं आने वाले, क्योंकि कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व सीएम सिद्धरमैया इसी तबके से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में ये समुदाय बीजेपी के पाले में नहीं आने वाला है। यही वजह है कि बीजेपी दूसरे ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए जी जान से कोशिश कर रही है।
कर्नाटक में ओवीसी समुदाय की आबादी तकरीबन 33 फीसदी है। लेकिन इसका ज्यादातर हिस्सा कांग्रेस का समर्थन करता रहा है। 2023 में चुनौती बड़ी है, क्योंकि बीजेपी को एंटी इनकंबेसी का सामना भी करना पड़ेगा। भितरघात पहले से मुंह बाए खड़ी है। ऐसे में वो यूपी की तर्ज पर रणनीति बना रही है। यूपी में बीजेपी को पता था कि यादव उसे वोट नहीं करने वाले, क्योंकि वो सपा के पाले में हैं। लिहजा बीजेपी ने दूसरे ओबीसी में सेंध लगाई।
यूपी की तर्ज पर बीजेपी अब कर्नाटक में काम कर रही है। कुछ दिनों पहले सीएम बसवराज बोम्मई ने घोषणा की थी कि सरकार तिगाला, माली, मालगारा, किनबरा और दूसरे ओबीसी समुदाय के लिए 400 करोड़ रुपये अलग से रख रही है, जिससे इन लोगों को खेती में सहायता की जा सके। इसी कड़ी में उन्होंने तुमकुल विवि में चेन्निगराया स्टडी चेयर बनाने का ऐलान भी किया था।
बसवराज का कहना था कि आप लोगों को राजनीति में घुसने की जरूरत नहीं है लेकिन आपके कल्याण के लिए काम पहले ही होना था। उनका कहना था कि ये सवाल हमेशा बना रहेगा कि समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए काम क्यों नहीं हुआ। इससे पहले बीएस येदुयिरप्पा ने भी तिगाला समुदाय के लिए एक मंदिर और कल्चरल हाल बनाने को लेकर बसवराज बोम्मई से बात की थी।