कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के भीतर टिकट के लिए लड़ाई तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (Former CM BS Yediyurappa) को गुरुवार को चिक्कमगलुरु जिले के मुदिगेरे में विजय संकल्प यात्रा को रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं ने मौजूदा विधायक एमपी कुमारस्वामी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
इससे पहले भाजपा सांसद जीएम सिदलेश्वर ने बसवराज बोम्मई सहित पार्टी नेताओं के लिए टिकटों के आवंटन की अनिश्चितता की बात कही। बीएस येदियुरप्पा, जो भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं, वह राज्य में चल रही चार चुनावी यात्राओं में से एक के रोड शो के लिए मुदिगेरे गए थे। उनके काफिले को भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने रोक दिया, जिन्होंने एससी-आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार के विधायक कुमारस्वामी की उम्मीदवारी का विरोध किया था। कार्यकर्ताओं की मांग है कि इस सीट से किसी नए चेहरे को उतारा जाए।
बीएस येदियुरप्पा के साथ जा रहे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि, पूर्व केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा और भाजपा एमएलसी एमके प्राणेश को भी प्रदर्शनकारियों ने रोक लिया। हालांकि भाजपा कार्यकर्ताओं के एक अन्य समूह ने एमपी कुमारस्वामी को टिकट देने के पक्ष में प्रदर्शन किया।
इस बीच बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए, दावणगेरे लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद सिद्धेश्वर ने कहा, “चुनावों की घोषणा के बाद कोर कमेटी बैठक करेगी और निर्णय लेगी। टिकट किसे मिलेगा कोई नहीं जानता। हम नहीं जानते कि बसवराज बोम्मई को टिकट मिलेगा या नहीं।”
बसवराज बोम्मई ने पिछले कई मौकों पर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह शिगगांव निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते हैं। यहां से वह 2018 में विधायक चुने गए थे। हालांकि सांसद सिद्धेश्वर ने कहा, “यह एक राष्ट्रीय पार्टी है। राष्ट्रीय नेता तय करेंगे। वे कहेंगे कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा।”
भाजपा में टिकट को लेकर चल रहे खींचतान के अवसर को भुनाते हुए कर्नाटक कांग्रेस ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सिद्धेश्वर के बयान को साझा किया। कांग्रेस ने पूछा कि क्या भाजपा आलाकमान को यह एहसास हो गया है कि लोगों में राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा है।
कांग्रेस ने कहा, “क्या भ्रष्टाचार और सीएम बोम्मई की विफलता के कारण पार्टी नेतृत्व में इतनी कड़वाहट आ गई है कि उन्हें मैदान में नहीं उतारा जा सकता। क्या आलाकमान को सरकार के खिलाफ लोगों के गुस्से का एहसास था?”