Udaypur Murder Case: राजस्थान के उदयपुर में एक दर्जी की बर्बरतापूर्ण हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड के पीछे अब पाकिस्तानी कनेक्शन भी दिखाई दे रहा है। इस हत्याकांड का संबंध पाकिस्तान में कराची के सुन्नी इस्लामी संगठन दावत-ए-इस्लामी के साथ जुड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
उदयपुर में दर्जी की हत्या करने वाले इन दो कट्टर हत्यारों का संबंध भी इस पाकिस्तानी संगठन के साथ जुड़े हुए हैं और इस संगठन के बारे में जांच की गई तो पता चला इसके तार पाकिस्तान के बरेलवी पैन-इस्लामिक तहरीक-ए-लब्बैक चरमपंथी संगठन से जुड़े है।
भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट में पैगंबर को लेकर टिप्प्णी कर दी थी। जिसके बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। इस दर्जी ने नूपूर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी जिसके बाद मंगलवार को भीलवाड़ा के 38 वर्षीय निवासी रियाज अटारी और उदयपुर के निवासी 39 वर्षीय घोस मोहम्मद ने दर्जी कन्हैया लाल का चाकू से गला काट दिया। यह चाकू अटारी के एक वेल्डर ने बनाई थी जिसे पैगंबर विवाद से काफी पहले ही अटारी एक वेल्डर ने कसाई के लिए तैयार किये थे।
गिरफ्तारी के बाद खुले संगठन के राज
गिरफ्तार किए जाने के बाद दोनों आरोपियों से पूछताछ के दौरान इस बात का पता चला कि वो दोनों ही सुन्नी इस्लाम के सूफी-बरेलवी संप्रदाय के थे और कराची में दावत-ए-इस्लामी के साथ उनके घनिष्ठ संबंध थे। आतंकवाद विरोधी अधिकारियों के अनुसार इस बात का पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या उनका भारत में अन्य कट्टरपंथी सुन्नी संगठनों के साथ कोई संबंध है? फिलहाल दोनों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है और मामला अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा जा रहा है।
जानिए क्या है दावत-ए-इस्लामी संगठन
दावत-ए-इस्लामी पाकिस्तान का एक सुन्नी समर्थित इस्लामिक संगठन है। इसकी स्थापना 1981 में कराची में हुयी थी। दावत-ए-इस्लामी का अर्थ है इस्लाम का आमंत्रण। इस संगठन के संस्थापक पाकिस्तान के मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास अत्तारी हैं। भारत सहित दुनिया भर के 194 देशों में इस संगठन की शाखाएं फैली हुईं हैं। ये संगठन ऑनलाइन संगठन भी चलाता है। उदयपुर हत्याकांड से जुड़े दोनों ही हत्यारे इसके ऑनलाइन कोर्स से जुड़े हुए थे। ये संगठन मदनी नाम का एक टीवी चैनल भी चलाता है जिसपर संगठन का प्रचार किया जाता है। इस संगठन के लोग हरी पगड़ी पहनते हैं।
साल 1989 में पहली बार भारत में आया ये संगठन
दावत-ए-इस्लामी संगठन यूं तो जमीनी तौर पर पाकिस्तान का है लेकिन इसका नेटवर्क दुनिया के 194 देशों में फैला हुआ है। साल 1983 में जहां इसकी स्थापना पाकिस्तान के कराची में हुई वहां इसे भारत पहुंचने में एक दशक का समय भी नहीं लगा। ये संगठन साल 1989 में यानि की महज 6 सालों के बाद ही भारत पहुंच गया। इस संस्था का मालिक पाकिस्तान में बैठकर पूरी दुनिया के लिए इसे ऑपरेट कर रहा है। भारत के दिल्ली और मुंबई में जैसे बड़े शहरों में इस संगठन का मुख्यालय है।
पीएम मोदी को भी वीडियो में दी है धमकी
हत्या के बाद राजस्थान पुलिस ने इन दोनों ही आरोपियों को राजसमंद से गिरफ्तार किया था। आपको बता दें कि इन आरोपियों ने इस हत्या का वीडियो अपने मोबाइल से शूट किया था और अपने पूरे व्हाट्सएप ग्रुप में फैला दिया था। इसके बाद वो अजमेर शरीफ दरगाह पर एक और वीडियो शूट करने जा रहे थे कि तभी राजस्थान पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। हत्या के वीडियो में इन दोनों कट्टरपंथियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी भी दी।