सावन में बाबा बैद्यनाथ के वीआईपी दर्शन पर रोक, झारखंड सरकार ने दिया आदेश
यह ठीक है कि इसका फायदा सरकारी खजाने को होता है, मगर थके मांदे कांवड़िए तो उतनी देर लाइन में खड़े इंतजार ही करते हैं।

झारखंड की रघुवर दास सरकार ने सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ के वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। इस बाबत बाकायदा सरकार के संयुक्त सचिव विजय कुमार मुंजनी के दस्तखत से पत्र जारी किया गया है। पत्र पर तारीख 29 मई 17 दर्ज है। इस दफा सावन 9 जुलाई से शुरू हो रहा है। दरअसल भागलपुर के सुल्तानगंज गंगानदी से कांवड़ में जल भर कांधे पर रख तकरीबन सौ किलोमीटर की पैदल नंगे पांव कठिन यात्रा कर ये झारखंड के देवघर पहुंच बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं।
यह सिलसिला इस दफा भी 9 जुलाई से 10 अगस्त तक चलेगा। यूं तो भादो महीने में भी यह सिलसिला जारी रहता है। लेकिन सावन जैसा यहां जन सैलाव नहीं रहता है। इस दौरान एक महीने तक रात दिन न रुकने वाला केसरिया बाना पहने कांवड़ियों का तांता रिमझिम बारिश में मनमोहक नजारा पेश करता है।
ऐसे में वीआईपी पूजा के नाम पर थके हारे कांवड़ियों को घंटों कतार में रोक कर इनकी आस्था को ठेस पहुंचाने का कोई मतलब नहीं है। शायद यही सोच सरकार ने इस पर रोक लगाने का फैसला किया है। सरकार के स्तर से जारी पत्र में किसी भी वीआईपी को इस दौरान पूजा के ख्याल से देवघर न आने की गुजारिश की गई है और साथ ही इस बाबत कोई सिफारिसी पत्र सरकार या देवघर जिला प्रशासन को न भेजने का अनुरोध किया है। देवघर पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो इसी का ख्याल कर सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है।
जारी पत्र की कापी केंद्रीय कैबिनेट के सचिव, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार, देश के सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार बगैरह को भेजी गई है। लेकिन 500 रूपए लेकर विशेष पूजा होगी या नहीं इसका जिक्र नहीं है। रूपए लेकर सुबह सुबह धनाढ्य लोगों को कराई जाने वाली पूजा भी किसी वीआईपी पूजा से कम नहीं है। कायदे से इस पर भी रोक होनी चाहिए। नाथों के नाथ भोले नाथ के दरवार में सभी श्रद्धालु एक जैसे हैं।
यह ठीक है कि इसका फायदा सरकारी खजाने को होता है, मगर थके मांदे कांवड़िए तो उतनी देर लाइन में खड़े इंतजार ही करते हैं। सावन और भादो दो महीने शिवलिंग तक ठेठ पहुंचने पर भी बीते तीन चार साल से अर्घा लगा रोक लगा दी है। श्रद्धालु लाया जल दूर से ही अर्घा में डाल देता है। जो सीधे शिवलिंग पर चढ़ जाता है। एक तरह से इस सिस्टम से भगदड़ वाली नोबत नहीं आती है और यह प्रयोग कारगर साबित हुआ है।
यह तरकीब यहां के सांसद निशिकांत दुबे और जिला प्रशासन ने मिलकर निकाली थी। साल दर साल बढ़ती भीड़ को काबू में करने का इससे बढ़िया शांतिपूर्ण तरीका दूसरा नहीं हो सकता था। हालांकि यहां का पंडा समाज इसका शुरू में काफी विरोध किया था। मगर पहले साल ही बिना किसी अशांति के सावन गुजरा तो इन्हें भी तसल्ली करनी पड़ी। खैर अब तो सब इसी सिस्टम में आ गए है।
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