Bihar Politics: बिहार (Bihar) की सियासत में इन दिनों काफी हलचल महसूस की जा रही है। जहां जदयू की भाजपा से दुश्मनी कच्ची दिखाई देती है वहीं राष्ट्रीय जनता दल से दोस्ती में भी हलचल है। ऐसी प्रत्येक कहानी के तीन पहलू हैं और इन सबके केंद्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। वही नीतीश कुमार जिन्हें बिहार की राजनीति का एक रहस्यमय नेता कहा जाता है। जिसे अपने अचानक लिए गए फैसलों के लिए जाना जाता है।
नीतीश कुमार फिलहाल महागठबंधन खेमे में हैं और एक वरिष्ठ नेता की भूमिका में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को राजनीति के गुर सिखा रहे हैं। इस दौरान भाजपा इन दोनों नेताओं के बीच बने पुल को जलाने का हर तरीका समझती है। वहीं बात अगर नीतीश कुमार की हो तो राजद ने अपनी पहरेदारी करके जितना हो सके खुद को आग से बचाने की कोशिश की है। इस बीच जद (यू) दोनों दलों में हलचल को देखकर खुश नजर आती है। जिसे मालूम है कि इस हलचल से नीतीश कुमार का कद बढ़ रहा है और 2024 तक राष्ट्रीय नेता के रूप में वह आगे बढ़ रहे है। 2024 के लोकसभा चुनाव तक बिहार में यही खेल जारी रहने की संभावना है।
क्या हैं भाजपा और नीतीश के बीच कच्ची दुश्मनी के सूत्र
भारतीय जनता पार्टी के कई अंदरूनी सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि ऊपर से उन्हें स्थायी निर्देश है कि वे अपने हमलों से नीतीश को इतना दूर न धकेलें कि उनके लिए फिर से दोस्ती असंभव हो जाए। इस कारणों को खोजना कठिन नहीं है। यदि हम देखें कि 2009 और 2019 के लोकसभा चुनावों में जब जद (यू) एनडीए का हिस्सा था।
तब गठबंधन ने बिहार में कुल 40 में से 2009 में 32 और और 2019 में 39 लोकसभा सीटें जीती थीं। अगर भाजपा को 2014 के चुनावों में रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के साथ 31 सीटें मिलीं तो ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली राजद और नीतीश एक ही पक्ष में नहीं थे। अगर राजद-जद (यू) गठबंधन 2024 के चुनाव तक रहता है तो भाजपा नेतृत्व को अकेले बिहार में 15-20 लोकसभा सीटें खोने का डर है।
राजद का क्या है रुख
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपनी पिता के बीमारी के बाद राजद के नेता के रूप में तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। उन्होने नीतीश के वर्चस्व को स्वीकार किया लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा है कि संख्या के मामले में राजद सबसे बड़ी पार्टी है। राजद ने अपने नेता और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस को लिए दिए बयान पर उनका बचाव किया। वहीं नीतीश की जदयू ने भी राजद पर इसे लेकर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया। इसके अलावा तेजस्वी भाजपा को निशाने पर लेते रहते हैं।