गुरुवारे के दाईं तरफ एक और पुलिस स्टेशन हैं। काफी लंबे समय तक गुरुवारे के गुंबद पर भिंडरावाले का पोस्टर लगे रहना चौंकाता है। सवाल उठ रहे हैं कि गुरुद्वारा कमेटी ने पोस्टर लगाने का विरोध क्यों नहीं किया? इस घटना के बाद क्षेत्र में विवाद पनप सकता है।
मालूम हो कि 80 के दशक में पंजाब की कई बड़ी घटनाओं के लिए भिंडरावाले को जिम्मेदार माना जाता है। उसकी वजह से पंजाब कई सालों तक आंतकवाद की आग में झुलसता रहा। दरअसल सारे विवाद की शुरुआत अकाली राजनीति की खींचतान और अकालियों की अलग पंजाब को लेकर मांग के रूप में शुरू हुई थी।
#Breaking | Bhindranwale poster spotted in Jammu outside a gurudwara.
Pradeep Dutta with more details. pic.twitter.com/T1Teygep9i
— TIMES NOW (@TimesNow) February 12, 2021
70 के दशक तक राज्य में अलग राज्य की मांग जोर पकड़ने लगी और इसका बड़ा चेहरा भिंडरावाला था। बाद में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी ने साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार को मंजूरी दी। भिंडरावाले अपने हथियारबंद साथियों के साथ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पनाह लिए हुए था। उसे काबू करने के लिए सेना ने वहां 3 से 6 जून 1984 तक ऑपरेशन चलाया।
इधर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पंजाब पुलिस और स्थानीय पुलिस के संयुक्त दल ने खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों के एक साथी को गिरफ्तार किया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पंजाब पुलिस और लखनऊ पुलिस के संयुक्त दल ने वांछित अभियुक्त जगदेव सिंह उर्फ जग्गा को लखनऊ के विकास नगर इलाके में गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने बताया कि पकड़े गए अभियुक्त का संबंध खालिस्तान समर्थक आतंकवादी परमजीत सिंह पम्मा और मलतानी सिंह से है। परमजीत इस वक्त इंग्लैंड में और मलतानी जर्मनी में रहकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त है। इन दोनों पर पंजाब में राष्ट्र विरोधी गतिविधियां करने तथा आतंक को बढ़ावा देने की साजिश रच के शांति और धार्मिक सहिष्णुता को नुकसान पहुंचाने का आरोप है।