जम्मू कश्मीर: पुलिस और सरकार के सामने हैं दो चुनौतियां- बढ़ते विरोध प्रदर्शन और आतंकवाद में उछाल
हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में 100 दिनों से कर्फ्यू लगा हुआ है।

हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में 100 दिनों से कर्फ्यू लगा हुआ है। इसको लेकर जम्मू कश्मीर की पुलिस को डर है कि इतने दिनों से चल रही अस्थिरता की वजह से दक्षिण कश्मीर के और युवा लोग आतंकवाद की तरफ जाने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, लगभग 80 युवा लोग आतंकी संगठनों में शामिल हो भी गए हैं। पुलिसवाले मानते हैं कि इस वजह से ही थानों में लूटपाट हो रही है। जिसमें हथियार भी चुराकर ले जाए जाते हैं। पुलिस का मानना है कि युवाओं को आतंक की तरफ लेकर जाने के पीछे बॉर्डर पार के आतंकी संगठनों का हाथ शामिल है। वे लोग इन लोगों की मदद से उरी में सेना कैंप पर किए गए हमले की तरह और हमले करना चाहते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस को कुछ दस्तावेज भी मिले हैं। उनसे पता लगता है कि विरोध प्रदर्शन के दौर से पहले लगभग 70 लोकल आतंकी दक्षिण कश्मीर में एक्टिव थे। लेकिन पिछले तीन महीनों में यह संख्या दोगुनी हो गई है। पिछले महीने पुलिस पोस्ट पर सात से ज्यादा हमले हो चुके हैं। इन हमलों में पुलिसवालों के 28 से ज्यादा हथियार छीन लिए गए। इसमें कलाश्निकोव बंदूकें भी शामिल हैं।
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पुलिस ने बताया कि एक हिजबुल कमांडर की पहचान भी उसने की है। उसका नाम शेख अब्बास है। वह रामपुर का रहने वाला है। वह हाल ही में 7 साल की जेल काटकर आया है। अब्बास की दो लड़कियां और दो लड़के भी हैं। पुलिस का मानना है कि पिछले तीन महीनों में उरी और कुपवाड़ा सेक्टर में लगभग 150 आतंकियों ने घुसपैठ की है। जिसमें से कुछ श्रीनगर भी पहुंच गए हैं।
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