NIA के मुताबिक ये संगठन अज्ञान दानदाताओं से पैसा ले रहे थे और उनका इस्तेमाल आतंकवादी क्रियाकलाप में कर रहे थे। दूसरी तरफ एनआईए ने बांदीपुरा और बेंगलुरु में भी कई जगहों पर छापा मारा। एनआईए की रिलीज के मुताबिक जम्मू-कश्मीर कोलिशन ऑफ सिविल सोसाइटी के संचालक खुर्रम परवेज, उनके सहयोगी अहमद बुखारी, परवेज अहमद मट्टा और स्वाति शेषादरी के ठिकानों पर छापा मारा गया। इसके अलावा असोसिएशन ऑफ पैरंट्स ऑफ डिसअपेयर्ड पर्सन की अध्यक्ष परवीना अहंगर और ग्रेटर कैलाश ट्रस्ट के ऑफिस में भी रेड पड़ी।
NIA raids on human rights activist Khurram Parvez & Greater Kashmir office in Srinagar is yet another example of GOIs vicious crackdown on freedom of expression & dissent. Sadly, NIA has become BJPs pet agency to intimidate & browbeat those who refuse to fall in line
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 28, 2020
इन छापों के बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती भड़क गईं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज और ग्रेटर कश्मीर ऑफिस पर रेड अभिव्यक्ति की आजादी दबाने के सरकार के प्रयास का ही नमूना है। दुखद है कि एनआईए बीजेपी की पालतू एजेंसी बन गई है और जो लोग बीजेपी की नहीं मानते उनको परेशान करने की कोशिश करती है।’ महबूबा ने एक और ट्वीट में कहा कि सरकार चाहती है कि मीडिया योग व सेहत की चर्चा करे और जम्मू-कश्मीर के लोगों की जमीन और संसाधनों पर बात न हो।
यह बोलकर मुफ्ती केंद्र सरकार के उस फैसले की तरफ संकेत कर रही थीं जिसके तहत देश के किसी भी राज्य का शख्स जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकता है। पहले ऐसा संभव नहीं था। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद महबूबा मुफ्ती नजरबंद थीं और जल्द ही रिहा हुई हैं। इसके बाद वह नैशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर सरकार का विरोध करने प्रयास कर रही हैं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में उन्होंने गुपकार डेक्लेरेशन ग्रुप बनाया है।