अफजल गुरु, सैयद सलाउद्दीन जैसे आतंकियों की वकालत करने वाले इस नेता को जवानों से मिले बंपर वोट
रशीद वहीं नेता हैं जो कुछ साल पहले विधानसभा में एक प्रस्ताव लेकर आए थे जिसमें संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को क्षमादान देने की मांग की गई थी। अफजल गुरुवार फरवरी, 2013 को फांसी दे दी गई थी।

लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन बारामूला संसदीय क्षेत्र में कश्मीरियों के लिए स्वतंत्र अधिकारों की वकालत करने वाला एक उम्मीदवार सुरक्षाबलों के बीच खूब मशूहर हुआ। मतदान अधिकारियों ने यह दावा किया है, जिनका कहना है कि सरकार के लिए ऐसे आंकड़े चिंता का विषय हैं। शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद यहां चुनाव हार गए मगर संसदीय क्षेत्र की 15 विधानसभा में से 5 में वह आगे रहे। इससे संकेत मिलता है कि वह घाटी में एक राजनेता के रूप में उभर सकते हैं। रशीद दो बार विधायक रह चुके हैं और अवामी इत्तेहाद पार्टी के दिग्गज नेता हैं।
द टेलीग्राफ में छपी एक खबर के मुताबिक रशीद ने जम्मू-कश्मीर के भाग्य का फैसला करने के लिए कश्मीरियों के अधिकार की पुरजोर वकालत की और सैयद सलाउद्दीन जैसे आतंकियों की तारीफ की। रशीद वहीं नेता हैं जो कुछ साल पहले विधानसभा में एक प्रस्ताव लेकर आए थे जिसमें संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को क्षमादान देने की मांग की गई थी। अफजल गुरुवार फरवरी, 2013 को फांसी दे दी गई थी।
जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी और उच्च पदस्थ सदस्य ने कहा, ‘रशीद को ना केवल बारामुला में सबसे अधिक वोट मिले बल्कि उन्होंने भाजपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस उम्मीदवारों से अधिक वोट हासिल किए।’ चुनाव अधिकारी ने आगे कहा कि बारामूला चुनाव में 3,378 वैलिड पोस्टल वोट डाले गए थे। इसमें से इंजीनियर रशीद रशीद ने 1,491 या 44 फीसदी वोट हासिल किए। बीजेपी ने 581, नेशनल कॉन्फ्रेंस 457 और कांग्रेस ने 292 वोट हालिस किए। ऐसे में तीनों प्रमुख पार्टियों को वोटों को जोड़ दिया जाए तो यह कुल 1,330 बैठता है जो इंजीनीयर रशीद को मिले पोस्टल वोट से बहुत कम है।
अधिकारी ने कहा कि डाक मतपत्रों के माध्यम से प्राप्त लगभग सभी वोट सेना और अर्धसैनिक बलों के कर्मचारियों के थे। इसमें इसमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं जो आउटस्टेशन पोस्टिंग पर थे। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र के बाहर तैनात नागरिक सरकारी कर्मचारी भी डाक मतपत्र डाल सकते हैं। हालांकि सेना के जवानों के डाक मतपत्रों पर विशेष रूप से आंकड़े उपलब्ध नहीं थे।
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