कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए जम्मू-कश्मीर असेंबली में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास
राज्य में 27 साल पहले ऐसी परिस्थितियां बनीं कि कश्मीरी पंडित, सिख समुदाय और कुछ मुस्लिमों को घाटी छोड़कर कहीं और शरण लेना पड़ी थीं।

जम्मू कश्मीर विधानसभा ने आज (शुक्रवार को) सर्वसम्मति से कश्मीरी पंडितों और अन्य प्रवासियों की घर वापसी के लिए एक प्रस्ताव पास किया है। इसके साथ ही इस रिजॉल्यूशन में कहा गया है कि घर वापसी करने वाले प्रवासियों के लिए घाटी में अनुकूल माहौल बनाया जाय। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई पूर्व मुख्यमंत्री अमर अब्दुल्ला ने कहा कि सदन को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कश्मीरी पंडितों, सिखों और अन्य प्रवासियों की घर वापसी के लिए एक प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए। इसके बाद सदन ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
इस मौके पर नेशनल कॉन्फ्रेन्स के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दुर्भाग्यवश राज्य में 27 साल पहले ऐसी परिस्थितियां बनीं कि कश्मीरी पंडित, सिख समुदाय और कुछ मुस्लिमों को घाटी छोड़कर कहीं और शरण लेना पड़ी। अब्दुल्ला ने कहा, “आज 27 साल हो गए, जब घाटी से कश्मीरी पंडितों, सिखों और कुछ मुस्लिमों ने पलायन किया था। लिहाजा, हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर आज उनकी घर वापसी के लिए एकजुट होना चाहिए।”
सदन में जब शून्य काल खत्म हुआ तब संसदीय कार्य मंत्री अब्दुल रहमान वीरी ने सदन में प्रस्ताव को लाने की मंजूरी दी। इसके बाद विधान सभा अध्यक्ष कविन्दर गुप्ता ने सदन में प्रस्ताव रखा जिसे पूरे सदन ने सर्वसम्मति से पास कर दिया।
इससे पहले अक्टूबर 2016 में आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा का आश्वासन देते हुए उन्हें अपने घरों में वापस लौटने के लिए कहा था। 1990 में आतंकवाद की शुरूआत पर घाटी से ये लोग विस्थापित होने को मजबूर हुए थे। इस संगठन का स्वयंभू कमांडर जाकिर रशीद भट उर्फ ‘मूसा’ ने एक वीडियो जारी कर कहा था, ‘हम कश्मीरी पंडितों से अपने अपने घरों में वापस लौटने का आग्रह करते हैं। हम उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं।’ गौरतलब है कि आतंकवाद के पैर पसारने और आतंकवादी संगठनों द्वारा कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाए जाने के बाद हजारों कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ने के लिए मजबूर हुए थे और तभी से वे जम्मू तथा देश के अन्य भागों में रह रहे हैं।
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