जम्मू-कश्मीर: अब भी 144 नेता नजरबंद, 300 की हुई है सशर्त रिहाई; राज्य के 164 कानून खत्म, केंद्र के 170 लागू हुए
जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद प्रदेश में मौजूद 354 राज्य कानूनों में से 164 राज्य कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। 138 कानूनों में संशोधन किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान को निरस्त कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। इस दौरान 444 लोगों पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगाया गया। पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने का एक साल पूरा हो जाएगा।
इस एक साल के भीतर सरकार ने पीएसए के तहत गिरफ्तार करीब 300 लोगों को रिहा किया है हालांकि 144 नेता अभी भी नजरबंद हैं। इनमें से 51 को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के आदेश पर रिहा किया गया जबकि अन्य को प्रशासनिक समक्षा के बाद रिहा कर दिया गया। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सभी को इस शर्त के साथ रिहा किया गया कि वो राजनीतिक बयानबाजी नहीं करेंगे।
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इसी बीच बीते शुक्रवार को पीडीपी अध्यक्ष और भाजपा की सहयोगी रहीं महबूबा मुफ्ती की हिरासत पीएसए के तहत तीन महीने के लिए और बढ़ा दी गई जबकि पिछली गठबंधन सरकार के एक अन्य सहयोगी सज्जाद गनी लोन को रिहा कर दिया। गृह विभाग के आदेशानुसार मुफ्ती गुपकर रोड पर अपने आधिकारिक आवास फेयरव्यू बंगले में अगले तीन महीने और हिरासत में ही रहेंगी। इस बंगले को उप जेल घोषित किया गया है।पूर्व मुख्यमंत्री की मौजूदा हिरासत की अवधि इस साल पांच अगस्त को खत्म हो रही थी।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद प्रदेश में मौजूद 354 राज्य कानूनों में से 164 राज्य कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। 138 कानूनों में संशोधन किया गया है। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेश में केंद्र के 170 कानूनों को लागू किया गया है। इस दौरान प्रदेश में अल्पसंख्यकों की छात्रवृति में 262 फीसदी की बढ़ोतरी भी दर्ज हुई है।
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